सचिन तेंदुलकर ने खेल महाकुंभ का किया उद्घाटन, सुनाई जिंदगी की एक अनसुनी कहानी
शिमला। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने धर्मशाला में एचपीसीए स्टेडियम में खेल महाकुंभ के उद्घाटन अवसर पर कहा कि 1983 में क्रिकेट विश्व कप उठाने का सपना संजोया था, उस समय भारत की जीत हुई तो मैंने भी एक दिन विश्व कप उठाने का प्रण लिया था, जो मैंने सोचा था उसे पूरा करने के लिये मैंने क्रिकेट पर फोकस किया। हलांकि मैं स्कूल स्तर पर फुटबॉल, बैडमिंटन, खो-खो, कबड्डी सहित अन्य खेल खेलता था। इसके बाद क्रिकेट खेलना शुरू किया। इसमें कोच, बड़े भाई अजीत और माता-पिता का योगदान रहा। उन्होंने बताया कि मेरे परिजनों ने मुझे कहा था कि किसी को भी चीट करके जीतना गलत है। इस सलाह को स्वीकार किया। सचिन ने कहा कि मैं हर बार बेहतर नहीं खेल पाता था लेकिन सही मार्गदर्शन ने सब ठीक कर दिया।
सचिन ने शेयर की जिंदगी की एक कहानी
सचिन ने खिलाड़ियों को कहा कि आगे बढ़ने के लिए मेहनत का कोई भी विकल्प नहीं है। नकल और शॉर्ट कट से सफलता हासिल नहीं की जा सकती है। इसके लिए केवल कड़ी मेहनत ही करनी होगी। उन्होंने कहा कि इतना कड़ा अभ्यास करो कि मैच स्वयं ही आपको आसान लगे। सचिन ने माना कि एक बार उन्होंने अखबार में नाम चमकाने की गलती की थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने जब स्कूल स्तर पर पहला मैच खेला, तो उन्होंने 24 रन मारे थे। उस दौरान 30 रन मारने वाले खिलाड़ी का नाम अखबार में प्रकाशित किया जाता था। अखबार में नाम भेजने वाले व्यक्ति ने वाइड और अन्य एक्सट्रा रनों को मेरे नाम जोड़कर अखबार में नाम दे दिया। अगले दिन कोच ने पूछा-तुमने कितने रन मारे थे? मैंने कहा-24 तो कोच ने कहा-नाम का इतना ही शौक है, तो रन बनाओ।
'स्कूल में खेल हो विषय'
उन्होंने स्कूलों में केजी से ही खेल विषय शुरू करने की आवश्यकता है। हालांकि, सीबीएसई ने नौवीं से जमा दो तक के विद्यार्थियों के लिए खेल विषय शुरू किया है। लेकिन, इसका विस्तार करना होगा। उन्होंने खिलाडिय़ों से मैदान में जमकर पसीना बहाने का आह्वान किया।
'खेल से रहें फिट'
उन्होंने कहा कि भारत शुरू से स्पोर्ट्स लवर देश है। लेकिन, हमें इसे स्पोर्ट्स प्लेइंग देश बनाना है। इसके लिए हमें मैदान में उतरना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश युवा है। ऐसा माना जाता है कि देश फिट है। लेकिन यह गलत है। क्योंकि, विश्व भर में डायबिटीज और ऑबेसिटी के मरीज भारत में सबसे ज्यादा हैं। बीमारियों से बचने के लिए युवाओं को खेल को जिंदगी का हिस्सा बनाना पड़ेगा। धर्मशाला में सांसद अनुराग ठाकुर ने विश्व का सुंदर क्रिकेट स्टेडियम बनाया है। लेकिन, यहां पर यदि खिलाड़ी खेलेंगे नहीं, तो इस स्टेडियम को कोई लाभ नहीं होगा।
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