वीरभद्र सिंह: रामपुर के अंतिम राजा से सीएम तक का सफर
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह सातवीं बार सीएम बनने को तैयार हैं। प्रदेश की रामपुर बुशहर रियासत के राजा वीरभद्र सिंह का पूरा परिवार राजनीति में सक्रिय है। भले ही राजशाही बीते जमाने की बात हो गई हो पर प्रदेश में उनका रूतबा राजाओं जैसा ही है। पत्नी प्रतिभा सिंह को लोग रानी, बेटी अपराजिता को राजकुमारी बेटे विक्रमादित्य को यहां के निवासी राजकुमार ही कहते हैं। करीब पांच दशक से ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय वीरभद्र सिंह पर हर दौर में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को को हुआ था। वह छह बार मुख्यमंत्री रहे चुके है। यूपीए सरकार में वह इस्पात मंत्री थे। वह पांच बार लोकसभा सदस्य और आठ बार विधानसभा सदस्य भी रह चुके हैं। 1962 में राजनीति में कदम रखने वाले वीरभद्र सिंह को राजनिति में भी 55 वर्ष हो चुके हैं। वीरभद्र सिंह ने 30 जनवरी, 1962 को दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और इससे दो दिन पहले ही उन्हें कांग्रेस ने महासू से अपना संसदीय उम्मीदवार घोषित कर दिया था। वीरभद्र सिंह दावा करते हैं कि उन्होंने अपने 55 साल के लम्बे राजनीतिक जीवन में एक घंटे के लिए भी कांग्रेस नहीं छोड़ी और न ही उन्हें कभी ऐसा करने का विचार उनके मन में आया।
वीरभद्र सिंह मानते हैं कि कांग्रेस के प्रति उनकी निष्ठा का ही प्रतिफल है कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के साथ ही तीन बार केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला। बढ़ती उम्र और अदालती मामलों में जूझने के बावजूद सत्ता से वीरभद्र सिंह का मोह अभी तक छूटा नहीं है। वीरभद्र सिंह की अपनी एक शख्सियत है। हिमाचल प्रदेश में वाई एस परमार के बाद वही एक ऐसे नेता हैं जिन्हें जनता का पूरा प्यार व समर्थन मिलता रहा है। हालांकि वह 84 साल के हो गये हैं, लेकिन आज भी उनमें वही ऊर्जा बरकार है जो शायद इस उम्र के शख्स में न हो।
राजनीतिक सफर
- 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1972 में पाँचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य।
- दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उप मंत्री बने।
- 1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे।
- 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
- सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने।
- अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल - कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
- 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
- 8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
- दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
- मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता।
- 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री।
- 2009 में मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित।
- मई 2009 से जनवरी 2011 तक भारत सरकार में इस्पात मंत्री।
- 19 जनवरी 2011 से जून 2012 तक भारत सरकार में लघु और मझौले उद्यम मंत्री।
- 26 अगस्त 2012 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
- शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए।
- 25वें दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के पाँचवें मुख्य मंत्री बने।