हिमाचल चुनाव: धूमल ने शादी की 50वीं सालगिरह के जरिए भाजपा आलाकमान को दिया यह संकेत
शिमला, 23 मई। हिमाचल भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को भले ही पार्टी आलाकमान राज्यपाल बनाने की ऑफर दे रहा हो, लेकिन खुद धूमल अभी भी सक्रिय राजनीति से दूर होने को तैयार नहीं हैं। जिससे अब लगने लगा है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में एक बार फिर धूमल अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं। दरअसल, सोमवार को हमीरपुर में प्रेम कुमार धूमल और उनकी पत्नी की शादी की सालगिरह के मौके पर धूमल समर्थकों के जमावड़े ने नये राजनीतिक समीकरण उभार दिये हैं। अपनी शादी कि सालगिरह के जश्न के बहाने धूमल परिवार जिसमें खासकर उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी शामिल हैं, ने एकाएक प्रदेश की राजनीति में स्पष्ट संकेत दे दिया है कि उनका परिवार आसानी से प्रदेश की राजनीति से बाहर नहीं होगा। हमीरपुर में इस जश्न में प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर व पार्टी अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी पहुंचे । लेकिन सबसे अधिक चर्चा प्रदेश भर से आये धूमल समर्थकों की मौजूदगी को लेकर रही। जो पिछले साढ़े चार साल से हाशिये पर चल रहे थे। उनमें अब नई जान आ गई है।
धूमल व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के बीच रिश्तों में खटास किसी से छिपी नहीं है। इसी के चलते पिछले चुनावों में हार के बाद धूमल दरकिनार हुये और जय राम ठाकुर को सीएम बनाया गया। पिछला चुनाव पार्टी ने धूमल के ही नेतृत्व में लडा था। और उनके समर्थक विधायक चुन कर आये। इसके बावजूद धूमल के अरमान धरे के धरे रह गये। लेकिन अब अगले चुनावों से पहले ही धूमल के मान मनौवल की कोशिश पार्टी में शुरू हो गई है। जिसके चलते उन्हें राज्यपाल बनाये जाने का ऑफर दिया गया। पार्टी के एक बडे वर्ग का मानना है कि धूमल भले ही पिछला चुनाव हार गये हों, लेकिन उनका राजपूत समुदाय और भाजपा के बड़े तबके पर प्रभाव है। जिसके चलते उनकी उपेक्षा पार्टी के घातक साबित होगी। मौजूदा सीएम जय राम ठाकुर लोकप्रियता के मामले में धूमल के आगे बौने ही साबित हुये हैं। उनके पास चुनाव जिताने का प्रभाव नहीं है।
बताया जा रहा है कि खुद धूमल ने अगला चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। भले ही उनके विरोधी उनकी बढ़ती उम्र और पार्टी के निर्धारित मापदंडों के तहत शायद उन्हें टिकट न मिलने की बात उछाल रहे हों। लेकिन आज के जमावड़े से धूमल ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि उन्हें पार्टी की ओर से उनके लिये तैयार राजनीतिक पुनर्वास का फार्मूला स्वीकार नहीं है और वह अगला चुनाव लडेंगे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि धूमल इस समय राज्यपाल बनने के बजाय चुनाव लड़ना बेहतर समझ रहे हैं। उनके समर्थकों का भी दबाव उन पर है। इसी के चलते शादी की सालगिरह के जश्न के बहाने धूमल ने पार्टी आलाकमान को भी संकेत दिया है कि टाइगर अभी जिंदा है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हमीरपुर में पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल की शादी की 50वीं सालगिरह पर उन्हें शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने प्रो. प्रेम कुमार धूमल और उनकी धर्मपत्नी शीला धूमल के स्वस्थ एवं सुखद भविष्य की कामना की है।
भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले हिमाचल प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल का जन्म 10 अप्रैल, 1944 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में हुआ। 2017 के हिमाचल विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार बनाए गए थे लेकिन वो अपनी सीट हार गए थे। प्रेम कुमार धूमल इससे पहले दो बार मार्च 1998 से मार्च 2003 तक और फिर 1 जनवरी 2008 से 25 दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
1982 में प्रेम कुमार धूमल भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष चुने गए। 1984 में हिमाचल प्रदेश के विधायक राज्य के दिग्गज नेता जगदेव चंद ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया तो धूमल को ये जिम्मेदारी मिली। धूमल वह चुनाव हार गए, लेकिन 1989 और 1991 में जीते। 1996 में उन्हें मेजर जनरल बिक्रम सिंह ने हराया था। 1993 में जगदेव चंद के असामयिक निधन के बाद प्रेम कुमार धूमल की राज्य की राजनीति में एंट्री होती है। 1993 से 1998 तक, वह हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। फिर आता है 1998 का साल जब मार्च के महीने में हुए हिमाचल प्रदेश विधान सभा में बामसन सीट से 18,000 वोटों से जीत दर्ज करने के साथ ही उन्हें सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 1998-2003 तक पूरे पांच साल का मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा किया। लेकिन 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिल पाती है और केवल 16 सीटें हासिल कर पाती। प्रेम कुमार धूमिल विपक्ष के नेता बनते हैं। धूमिल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सड़कों के क्षेत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजनाएं शुरू की। 2007 के उपचुनाव में हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र जीतने के बाद, धूमल ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव की नौबत इसलिए आई क्योंकि भाजपा सांसद सुरेश चंदेल को सवालों के बदले नकद घोटाले में शामिल होने के कारण निष्कासित कर दिया गया था।
नये राज्यपाल बनाये जाने को लेकर चल रही चर्चाओं में की जा रही नई नियुक्तियों में हिमाचल प्रदेश से प्रेम कुमार धूमल का नाम भी शामिल है। धूमल के अलावा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और बिहार के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर का नाम भी चर्चा में हैं। इस साल के अंत में होने जा रहे हिमाचल विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में गुटबाजी को खत्म करने के मकसद से ही धूमल को राज्यपाल बनाने की बात उभर कर सामने आई है। बताया जा रहा है कि जिन राज्यपालों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उनमें मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम के राज्यपाल और अंडमान-निकोबार के उपराज्यपाल शामिल हैं। वहीं, नागालैंड के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार अभी असम के राज्यपाल जगदीश मुखी के पास है। इसी के चलते नये राज्यपालों की तलाश शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि अगर धूमल राज्यपाल बनते हैं, तो प्रदेश की राजनीति में भी बड़ा उलटफेर होगा। खासकर भाजपा में मौजूदा सीएम के लिये यह राहत भरी खबर होगी। और आने वाले चुनावों में उनके सामने कोई चुनौती नहीं होगी। इसके साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिये भी अगला राजनीतिक सफर आसान होगा।