मिलिए हिमाचल प्रदेश की पहली महिला टैक्सी चालक से जो सबके लिए बन गई है प्रेरणा
पिता के देहांत के बाद रवीना के घर में टैक्सी बिना इस्तेमाल किए हुए ही रखी थी। रवीना ने कहा कि- मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहती हूं और अपने स्नातक के बाद पूरा ध्यान इसी पर लगाउंगी।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में एक लड़की समाज के लिए प्रेरणा बन गई है। इस लड़की ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसकी चर्चा पूरे हिमाचल प्रदेश में हो रही है। हिमाचल के कुल्लू जिले में मनाली की बेटी रवीना ठाकुर प्रदेश की पहली महिला कैब चालक बन गई हैं। रवीना ठाकुर की उम्र अभी मात्र बीस साल है लेकिन सपने उसके ऊंचे हैं। वो चाहती हैं कि सेना में अफसर बन देश सेवा करें। रवीना बताती हैं कि उसने वाहन चलाने का फैसला परिवार की देखरेख करने के लिए ही लिया। ट्रेनिंग के तीन साल बाद रवीना ने अपना कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस इसी साल हासिल किया है। रवीना के पिता जो कि उसके पहले ड्राइविंग ट्रेनर भी थे, उनका तीन साल पहले निधन हो गया था। पिता के देहांत के बाद रवीना के घर में टैक्सी बिना इस्तेमाल किए हुए ही रखी थी। रवीना ने कहा कि- मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहती हूं और अपने स्नातक के बाद पूरा ध्यान इसी पर लगाउंगी। अभी फिलहाल मेरे पास जीवन चलाने के लिए और कोई रास्ता नहीं बचा है।
'रवीना' प्रदेश की प्रेरणा
रवीना का पैतृक गांव जोगिंदरनगर है। उनकी मां शांता देवी मनाली में एक टी-स्टॉल चलाती थीं लेकिन नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण के दौरान उसे भी तुड़वा दिया गया था। रवीना कहती हैं कि 'हमारे घर की फाइनेंसियल कंडीशन ने मुझे कभी कमजोर नहीं किया और टैक्सी ड्राइविंग ने मुझे और बोल्ड और बहादुर बनाया है। रवीना की इच्छाशक्ति इतनी मजबूत है कि घर-परिवार और समाज के विरोध के बावजूद उन्होंने इस काम को करने का फैसला लिया है। रवीना के इस काम को शुरू करने से पहले आस-पास के लोगों और रिश्तेदारों ने काफी विरोध किया था।
पिता का दिया हुनर आया काम
रवीना ने कहा कि- जब मेरे पिता मुझे ड्राइविंग सिखा रहे थे। तब मुझे लगा नहीं था कि ये कभी हमारे जीवन-यापन का जरिया बनेगा। लोग अब भी हमें इस बात की उलाहना देते हैं लेकिन किसे फर्क पड़ता है! मेरे पीछे मेरा परिवार है और मेरे सपने हैं जिसे मुझे पूरा करना है। मुझे नहीं लगता कि टैक्सी ड्राइवर होना कोई बुरी बात है। लोगों का कमेंट मेरे परिवार का पेट नहीं भरेंगा। वो आगे कहती हैं कि मेरी मां मेरे इस फैसले के साथ हैं। जबकि कई लोगों ने उन्हें ये समझाने की कोशिश की कि वो मुझे टैक्सी चलाने की इजाजत ना दें। उनकी मां शांता देवी ने कहा कि, मैं अपनी बेटी के फैसले के साथ हूं। उसने अपने पिता से गाड़ी चलाना सीखा है। मैं खुश हूं और उसके सपनों के साथ हमेशा खड़ी रहूंगी।
लोगों में है रवीना की मांग
शांता देवी ने कहा कि शुरुआत में लोगों ने काफी रोका कि लड़की को इस क्षेत्र में ना जाने दें, लेकिन बेटी ने उन्हें समझाया और तब उन्होंने रवीना का पूरा सहयोग किया। रवीना दिल्ली, चंडीगढ़ और मनाली के आसपास सवारियां ले जा चुकी हैं। पर्यटन नगरी मनाली में रवीना के पहली महिला टैक्सी चालक बनने पर दूसरे टैक्सी चालकों ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि ये एक अच्छी बात है कि अब उनके साथ महिला चालक भी हैं। इसके लिए वो रवीना को शुभकामनाएं देते हैं। कई चालकों का कहना है कि अक्सर देखा जाता था कि कई बार महिला पर्यटकों को पुरुष टैक्सी चालकों से बात करना काफी मुश्किल लगता है। वे खुल के बात नहीं कर पाती थी, अब अच्छी बात है कि अब उनके साथ एक युवती भी जुड़ गई हैं। उन्होंने कहा कि हम उसका पूरा सहयोग करेंगे।
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