हिमाचल कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई, सीएम पद और टिकट की दावेदारी पर नेताओं में मचा है घमासान
शिमला, 20 जून। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। नेताओं की भीड़ में टिकट के तलबगार अब अपनी जोर आजमाइश सरेआम करने से नहीं कतरा रहे हैं। जिससे पार्टी की बैठकों में एकता का पाठ पढ़ाने वाले नेता खुलेआम एक दूसरे को चुनौती देने लगे हैं। जिससे चुनावों में सबको साथ लेकर चलने के दावे कमजोर पड़ते जा रहे हैं। खुद को सीएम चेहरे का दावेदार बनने की होड़ नेताओं में शुरू हो गई है। आलम यह है कि कोई भी नेता अपने टिकट की दावेदारी छोड़ना नहीं चाहता। भले ही पिछले चुनावों में करारी हार मिली हो। यही हाल प्रदेश के तीन बड़े नेताओं प्रतिभा सिंह , सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री का है।

प्रदेश कांग्रेस को एकजुट करने के मकसद से पिछले दिनों पार्टी में बदलाव लाया गया। जिसके तहत प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष व उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये और चुनाव प्रचार समिति की कमान नादौन के विधायक सुखविन्दर सिंह सुक्खू को दी गई। अगर प्रतिभा सिंह जो कि सांसद हैं, को पार्टी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देती है तो पार्टी के सबसे मजबूत चेहरे सुक्खू ही होंगे। लेकिन सुक्खू के बढ़ते कदम उनके विरोधियों को रास नहीं आ रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भी अब सत्ता की दौड़ में शामिल हो गये हैं। जिससे कांग्रेसी नेताओं में वर्चस्व की लडाई अब सामने आने लगी है। हालांकि इस लड़ाई को खत्म करने के मकसद से पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला शिमला में आज से बैठकों का दौर शुरू करने जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ वीरभद्र सिंह खेमे से जुड़े नेता कदमताल कर रहे हैं और प्रतिभा सिंह की भी पूरी कोशिश है कि अपने समर्थकों को पार्टी में तरजीह दिला पायें। अपने समर्थकों को लामबंद करने के मकसद से प्रतिभा सिंह इन दिनों प्रदेश के दौरे पर हैं। लेकिन उनके कार्यक्रमों में एक खास गुट के ही नेता हाजिरी भर रहे हैं। जिससे प्रतिभा सिंह के कई कार्यक्रमों में भीड कम ही देखने को मिली।

दरअसल, अपने लोगों को टिकट दिलाने की पैरवी करने की तैयारी के चलते इन दिनों प्रतिभा सिंह और चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के बीच जोर आजमाइश देखने को मिल रही है। हालांकि कांग्रेस आलाकमान की शर्त के मुताबिक प्रतिभा सिंह इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगी। लेकिन माना जा रहा है कि प्रतिभा सिंह अपने गुट के नेताओं को आसानी से अकेले छोड़ने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि प्रतिभा सिंह को कमान मिलने के बाद वीरभद्र सिंह गुट के कई नेताओं में उम्मीद की नई किरण जगी है। चूंकि उनके गुट के कई नेता ऐसे हैं, जो पिछला चुनाव बुरी तरह हारे थे। और उन्हें इस बार टिकट कटने का अंदेशा था। लेकिन प्रतिभा सिंह के मैदान में आने से उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने की उम्मीद जगी है।

प्रतिभा सिंह के अलावा नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भी अब मैदान में आ गये हैं। वह भी अगले सीएम के तौर पर खुद को पेश करने लगे हैं। हालांकि लोकप्रियता के मामले में मुकेश कमजोर हैं। मौजूदा विधानसभा में भी 11 विधायक सुक्खू समर्थक है। लेकिन मुकेश को लेगता है कि प्रतिभा सिंह और सुक्खू की लड़ाई में उन पर पार्टी दांव लगा सकती है। यही वजह है कि बीते दिन ही उन्होंने हरोली में रैली कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। इस बीच , चुनाव प्रबधंन एवं प्रचार समिति अध्यक्ष के सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि नारों या तस्वीरों वाली तख्तियों के आधार पर नहीं बल्कि एआईसीसी द्वारा करवाए जा रहे सर्वे में जिताऊ उम्मीदवारों को इस बार टिकट मिलेगी। यदि किसी को लगता है कि वह संगठन से ऊपर है और अकेला जीत सकता है तो वह अपने नाम पर चुनाव लड़ सकता है।
हिमाचल:
सोलन
में
केबल
कार
में
फंसी
15
जिंदगियां,
सभी
का
सकुशल
किया
रेस्क्यू
उन्होंने कहा कि सर्वे में जो शॉर्टलिस्ट होगा और स्वच्छ छवि व सेवा की भावना रखने वाला होगा उसको टिकट दिया जाएगा। सुक्खू ने कहा कि हाथ के निशान के लिए संघर्ष करना है, पोस्टर या नारे लगाने से कोई बड़ा नेता नहीं बनता। जिसके फोटो लेकर घूमते हैं और नारे लगाते हैं उसके नाम से चुनाव क्यों नहीं लड़ लेते? सुक्खू ने कहा कि पार्टी से ऊपर कोई नहीं है और पार्टी का निशान ही हर नेता की ताकत है। यह सबको याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर कहते हैं इस बार वह रिवाज बदलेंगे, लेकिन वे कभी यह नहीं बताते कि उन्होंने ऐसा किया क्या है कि प्रदेश के लोग भाजपा को वोट दें? पेपर लीक नहीं हुआ बल्कि नीलाम किया गया और 3 से 8 लाख रुपए में जयराम ठाकुर के कार्यकाल में नीलामी हुई। सिलैंडर कांग्रेस काल में 400 रुपए था लेकिन अब वह 1100 रुपए हो चुका है। केंद्र और प्रदेश सरकारों ने महंगाई और बेरोजगारी को लेकर कुछ नहीं किया है, ऐसे में अब जनता भाजपा को सत्ता से दूर करने वाली है और कांग्रेस को सत्ता सौंपेगी।