सर्जिकल स्ट्राइक कर चुकी पैरा यूनिट का कमांडो शहीद, हिमाचल में पिता ने कलेजे पर पत्थर रख छिपाई बात
कुल्लू। जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिला के केरन सेक्टर में सीमा पर आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में हिमाचल का एक और लाल शहीद हो गया। वह लाल थे पैरा कमांडो बालकृष्ण। बालकृष्ण उसी पुईद गांव से थे, जहां से देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा थे। सोमवार रात को इस ठेठ पहाड़ी गांव में बालकृष्ण के पिता महेंद्र को बॉर्डर से फोन आया कि, आपका बेटा शहीद हो गया है। यह सुनते ही पिता महेंद्र सन्न रह गए। लेकिन उन्होंने यह बात परिवार में किसी को नहीं बताई। अपने जिगर तले बेटे की शहादत छुपा ली।
सर्जिकल स्ट्राइक कर चुकी पैरा यूनिट का हिस्सा थे बालकृष्ण
फिर, पिता सुबह उठे तो घर वालों को बताया कि मेरा बालकृष्ण देश के काम आ गया है। उसके बाद परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। गांववालों ने कहा कि, महज 25 साल उम्र थी बालकृष्ण की। वह कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए घायल हुआ था। आर्मी अस्पताल में उसका उपचार भी हुआ, लेकिन जख्म गहरे थे। बच नहीं पाया।
'12 मार्च को ही वह छुट्टियां काटकर गया था'
पिता
महेंद्र
रुंधे
गले
से
कहते
हैं
कि,
‘12
मार्च
को
ही
वह
छुट्टियां
काटकर
गया
था।
21
फरवरी
को
30
दिन
की
छुटियां
लेकर।
20
दिन
ही
घर
पर
रहा।
11
मार्च
को
सेना
से
फोन
आया
और
उसे
जाना
पड़ा।'
महेंद्र
आगे
बोले
कि,
‘जाते-जाते
बालकृष्ण
यह
कह
कर
गया
था
कि
घर
का
काम
पूरा
होना
चाहिए।'
यह
बताते
हुए
महेंद्र
की
आंखों
में
आंसू
आ
गए।
उन्होंने
कहा
कि,
‘दो
माह
बाद
शादी
थी
उसकी..
तैयारियां
जारी
थी..
सेना
में
भर्ती
हुए
3
साल
ही
हुए
थे,
कि
देश
पर
मर
मिटा
वह।'
'उम्र 25 साल, अभी शादी भी नहीं हुई थी'
वहीं, बालकृष्ण की बीमार माता इंद्रा देवी भी कुछ नहीं बता पा रही थीं। उन्होंने बस इतना कहा कि, ‘तीन दिन पहले ही बालकृष्ण ने फोन पर पूछा था कि आपका दर्द कैसा है। मैं बीमार रहती हूं इसके लिए लगातार फोन करता था। उसने कहा था कि अपना ख्याल रखना, काम ज्यादा नहीं करना। घर में बहू आएगी तो आपका बोझ कम हो जाएगा।' अब तो बेटा रहा ही नहीं।
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