गुजरात Ambuja की तरफ से अब हिमाचल प्रदेश को दिए जाएंगे 36 करोड़
इससे पहले करीब 29 करोड़ रुपए बॉन्ड और 7 करोड़ रुपए कैश के रूप में अंबुजा कंपनी को दिए गए थे।
शिमला। जानी मानी सीमेंट कंपनी गुजरात अबुंजा को हिमाचल प्रदेश में स्थापित अपने यूनिट में सरकारी नियमों की अवहेलना करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। ताजा फैसले के बाद अब गुजरात अबुंजा को हिमाचल सरकार को करीब 36 करोड़ रुपए देने होंगे। गुजरात अंबुजा से अदालत ने विद्युत दरों से संबंधित मामले को लेकर ये राशि 6 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने को कहा है। इस फैसले से हिमाचल के सरकारी खजाने को बड़ी चपत नहीं लगेगी। इससे पहले करीब 29 करोड़ रुपए बॉन्ड और 7 करोड़ रुपए कैश के रूप में अंबुजा कंपनी को दिए गए थे। एस.एल.पी. नंबर 2652 पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ये फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया गया। अब राज्य सरकार की तरफ से इस राशि की रिकवरी संबंधित कंपनी से की जानी है। दरअसल ये मामला पीक लोड ऑवर सप्लाई चार्ज से जुड़ा है। इसे अंबुजा कंपनी ने टैरिफ का हिस्सा बताया था।
SC से सरकार के पक्ष में आया फैसला
इसको लेकर कंपनी ने 46.73 करोड़ रुपए लौटाने का दावा उद्योग विभाग पर किया था। कंपनी इस मामले को हाईकोर्ट भी ले गई, जिसमें सरकार के खिलाफ निर्णय आया। इसके बाद मामले का सरकारी स्तर पर आकलन किया गया। सरकारी स्तर पर आकलन करने के बाद मामला उद्योग विभाग के सलाहकार डॉ. राजेंद्र चौहान को सौंपा गया। डॉ. चौहान ने इस मामले का अध्ययन करने के बाद मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की सलाह दी। उनकी सलाह पर मामला सुप्रीम कोर्ट गया और फैसला सरकार के पक्ष में आया।
1990 में कंपनी स्थापित करने का लिया था निर्णय
इसके बाद बॉन्ड के रूप में जमा करवाए गए 29.67 करोड़ रुपए लौटाने के आदेश दिए गए। इस राशि को 6 फीसदी ब्याज सहित लौटाए जाने को कहा गया है। इस निर्णय के बाद अब बॉन्ड के रूप में जमा 29.67 करोड़ रुपए और कैश में दिए गए 7 करोड़ रुपए कंपनी को वापस लौटाने होंगे। गौरतलब है कि अंबुजा सीमेंट लिमिटेड को स्थापित करने का निर्णय 23 जनवरी, 1990 को लिया गया था। इसकी यूनिट ने 26 नवंबर, 1995 में सोलन जिला के दाड़लाघाट में उत्पादन करना शुरू किया। इसी अवधि के दौरान हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड की तरफ से पीक लोड ऑवर सप्लाई चार्ज लेने संबंधी निर्णय भी लिया गया।
कंपनी हुई नाराज तो हार गई सरकार
इस निर्णय से अंबुजा कंपनी सहमत नहीं थी, जिसके चलते पहले मामला हाईकोर्ट गया और जहां पर सरकार हार गई। बाद में सरकार की तरफ से मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां पर कंपनी के खिलाफ निर्णय आया है। अब इस निर्णय के आधार पर कंपनी को ये राशि वापस सरकार को ब्याज सहित लौटानी होगी। इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेल्पमेंट बोर्ड (आई.डी.बी.) के सी.जी.एम. अनिल कपिल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसा निर्णय आया है, जिसमें उद्योग विभाग को आगामी कार्रवाई करने को कहा गया है। इस निर्णय के मुताबिक कंपनी को 6 फीसदी ब्याज के साथ राशि लौटानी होगी।
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