हिमाचल चुनाव: 14 क्षेत्रों में रूठने-मनाने की राजनीति, 'बागी' बड़ा चुनावी फैक्टर!
ऐसे में दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सिरदर्द साबित हो रहे हैं। आखिर तक पार्टियां अपनों को मनाने का प्रयास करती दिख रही है।
शिमला। तमाम कोशिशों के बावजूद हिमाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस बागियों को मनाने में नाकाम रहे हैं। जिससे अब मुकाबला रोचक हो गया है। एक ओर भाजपा का मिशन खतरे में है, तो दूसरी ओर कांग्रेस के मिशन रिपीट पर भी तलवार लटकी है। प्रदेश में नामांकन वापसी के आखिरी दिन 41 आजाद उम्मीदवारों के नाम वापस लेने के बाद अब मैदान में 111 आजाद, अभी भी मैदान में डटे हैं। करीब 14 चुनाव क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर कांग्रेस और भाजपा के बागी किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सिरदर्द साबित हो रहे हैं। आखिर तक पार्टियां अपनों को मनाने का प्रयास करती दिख रही है, लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिली। कुछ मान गए लेकिन ज्यादातर अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहे। जिससे अब प्रदेश का चुनावी माहौल बदलता नजर आ रहा है। अब प्रदेश में 9 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए कुल 348 प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2012 में 459 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी।
कांग्रेस में कौन नहीं माना?
सीट
बागी-
कांग्रेस-
प्रत्याशी
शिमला
शहरी-
हरीश
जनार्था
-हरभजन
सिंह
शाहपुर
-
विजय
सिंह
मनकोटिया
-
केवल
सिंह
पठानिया
करसोग-
मस्त
राम
-
मनसा
राम
बड़सर-
सीताराम
भारद्वाज-
आईडी
लखनपाल
रामपुर-
सिंघी
राम-
नंद
लाल
नालागढ़-
बाबा
हरदीप
सिंह-
लखविंदर
सिंह
राणा
ऊना-
राजीव
गौतम-
सतपाल
रायजादा
द्रंग-
पूर्ण
चंद
ठाकुर-
कौल
सिंह
ठाकुर
पालमपुर-
बेनी
प्रसाद-
आशीष
बुटेल
कुटलैहड़-
शिवहरी
पाल-
विवेक
शर्मा
लाहौल
स्पीति-
राजेंद्र
करपा-
रवि
ठाकुर
बिलासपुर-
बसंत
राम-0
बंबर
ठाकुर
भरमौर-
जनम
सिंह
ठाकुर-
सिंह
भरमौरी
ज्वालामुखी-
विजेंद्र
कुमार-
धीमान
संजय
रत्न
कांग्रेस में कौन माना?
सीट
बागी-
कांग्रेस-
प्रत्याशी
भोरंज-
प्रेम
कौशल-
सुरेश
कुमार
बिलासपुर-
तिलक
राज-
बंबर
ठाकुर
शिमला
ग्रामीण-
खेम
राज
और
देवेंद्र
ठाकुर-
विक्रमादित्य
सिंह
कांगड़ा-
राज
कुमार-
पवन
काजल
मनाली-
धर्मवीर
धामी
और
प्रेम
शर्मा-
हरिचंद
शर्मा
भाजपा के लिए बने आफत
सीट-
बागी-
भाजपा
प्रत्याशी
पालमपुर-
प्रवीण
शर्मा-
इंदु
गोस्वामी
चंबा-
बीके
चौहान-
पवन
नैय्यर
फतेहपुर-
राजन
सुशांत-
कृपाल
परमार
कैसे समीकरण बिगाड़ सकते हैं आजाद?
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के बागी हवा का रुख किसी भी तरफ मोड़ सकते हैं। इसका सीधा सबूत है 2012 का चुनाव। इस चुनाव में 152 आजाद उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे, जिनमें से सिर्फ 5 विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हुए लेकिन इनमें से कइयों ने जिताऊ उम्मीदवारों की कमर तोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी। 17 सीटें ऐसी थी जिनमें बागियों ने 5000 से ज्यादा वोट लेकर पूरा समीकरण बदल कर रख दिया।
2012 में बागी जिन्होंने तोड़े 5000 से ज्यादा वोट
सीट-
बागी-
वोट
चंबा-
राज
सिंह-
10,813
भटियात-
भूपेंद्र
कुमार-
9,870
ज्वाली-
संजय
कुमार-
10,924
जयसिंहपुर-
रविंद्र
धीमान-
8006
कांगड़ा-
डॉ
राजेश
शर्मा-
7966
मनाली-
धर्मवीर
धामी-
14,346
आनी-
ईश्वर
दास-
5172
करसोग-
मस्त
राम-
11,000
नाचन-
दामोदर
सिंह-
10,861
बल्ह-
महंत
राम-
9023
गगरेट-
रमन
कुमार-
5245
घुमारवीं-
राकेश
कुमार-
6664
अर्की-
अमर
चंद
पाल-
10,477
दून-
परमजीत
सिंह-
10,429
कसुम्पटी-
विजय
ज्योति
सेन-
6466
कुल्लू-
प्रेम
लता
ठाकुर-
7256
फतेहपुर-
सुधा
सुशांत-
9335
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