GST की वजह से फीकी रही दिवाली, व्यापारियों को अब शादियों के सीजन से उम्मीदें
शिमला। इस वर्ष दिवाली पर हुए व्यापार की समीक्षा करते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि गत वर्षों के मुकाबले इस वर्ष व्यापारियों के लिए दिवाली की रौनक लगभग न के बराबर रही और व्यापार में घोर मंदी का माहौल रहा। बाजार के जानकारों के मुताबिक गत 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी रही जिसमें व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों में ही त्योहारी माहौल नहीं बन पाया।
देश के रिटेल व्यापार में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख करोड़ का कारोबार होता है यानी लगभग 3.5 लाख करोड़ प्रति महीना जिसमें से केवल 5% का हिस्सा संगठित क्षेत्र का है जबकि बचा हुआ 95 % हिस्सा स्वयं संगठित क्षेत्र का है जिसे असंगठित क्षेत्र भी कहा जाता है। दिवाली से पहले के 10 दिनों में दिवाली से सम्बंधित वस्तुओं की बिक्री गत वर्षों में लगभग 50 हजार करोड़ रही है जिसमें इस साल 40 % की कमी दिखाई दी। रेडीमेड गारमेंट, कंज्यूमर ड्यूरेबल , एफएमसीजी प्रॉडक्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, किचन सामान, लगेज सामान, घड़ियां, गिफ्ट आइटम, मिठाइयां, ड्राई फ्रूट, होम डेकोर, बिजली फिटिंग, फर्नीचर, डेकोरेशन आइटम, फर्निशिंग फैब्रिक, बिल्डर हार्डवेयर, पेंट, बर्तन आदि वो वस्तुएं हैं जिनकी बिक्री मुख्य रूप से दिवाली पर होती है ।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की उपभोक्ताओं के पास नकद तरलता की कमी के कारण उनकी खरीद क्षमता पर गहरा असर पड़ा जिसके कारण बाजारों में मायूसी छायी रहीं। दूसरी ओर नोटबंदी के बाद बाजारों में अस्थिरता आई थी। फिर बाजार सम्भला तब जीएसटी के लागू होने और जीएसटी पोर्टल का ठीक तरह से काम न कर पाने के कारण से बाजारों में अनिश्चितता का वातावरण बना जिसका असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ा। वहीं 28 % के जीएसटी कर स्लैब का खासा असर भी खरीददारी पर रहा ।
अब जबकि दिवाली का त्यौहार जा चुका है ऐसे में अब व्यापारियों की निगाहें 31 अक्टूबर से शुरू होने वाले शादियों के सीजन के पर टिकी हैं। यह सीजन पहले सत्र में 14 दिसम्बर तक चलेगा ओर फिर दोबारा 14 जनवरी से शुरू होगा। व्यापारियों को इस सीजन में अच्छे व्यापार की उम्मीद है। कैट ने कहा है की अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टरों में केवल रिटेल व्यापार ही अकेला ऐसा सेक्टर है जिसके लिए न तो कोई नीति है और न ही कोई मंत्रालय है। इसलिए सरकार को तुरंत रिटेल व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए और केंद्र में अलग से एक आतंरिक व्यापार मंत्रालय गठित करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर रिटेल व्यापार को रेगुलेट एवं मॉनिटर करने के लिए एक रिटेल रेगुलेटरी अथॉरिटी भी बनाई जानी चाहिए।
ये भी पढ़ें: हिन्दू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष ने दिवाली के दिन बच्चों से कराई फायरिंग