चुनावी नतीजों से पहले महंगे हो गए हैं हिमाचल में बकरे, खिलाया जा रहा है ज्यादा अनाज
खास बात ये है कि ग्रामीण इन दिनों ऐसे बिकने वाले बकरों व मेंढों को जमकर अनाज खिलाते हैं, जिससे उनका एक महीने में ही वजन 8 से 10 किलो बढ़ जाता है।
शिमला। एक ओर हिमाचल में मतदान के बाद अब मतगणना व चुनावी नतीजों का बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। वहीं आने वाले चुनावों के बाद दी जाने वाली दावतों की भी अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्रदेश में चुनाव में जीत भाजपा की हो या कांग्रेस की, दावत तो नेता व समर्थक देंगे। पहाड़ के रिवाज के मुताबिक ज्यादातर दावतें मांसाहारी ही होती हैं। हालांकि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों के बाद अब मंदिरों में बलि नहीं दी जा सकती है लेकिन बकरे फिर भी कटते हैं। ये अलग बात है कि अब स्थान जरूर बदल गए हैं। लिहाजा दावत देने के लिए की जा रही तैयारियों के बीच प्रदेश में मेंढा और बकरों की कीमत में एकाएक इजाफा हो गया है। जो बकरा पहले 20 से 25 हजार में और मेंढा 30 से 35 हजार में आसानी से मिलता था। वहीं अब बकरा 25 से 30 हजार और मेंढ़ा 40 से 45 हजार में मिल रहा है। जिससे जाहिर है कि इस बार चुनाव जीतने की खुशी में नेता जी को दावत महंगी पड़ेगी।
इसके लिए अभी से बुकिंग भी शुरू हो गई है
बताया जा रहा है कि एक दावत में कम से कम 20 से 25 बकरे या मेंढ कटते हैं, जिससे 10 से 12 हजार लोगों को मांस वाली दावत, जिसे स्थानीय भाषा में धाम कहते हैं, खिलाई जा सकती है। बकरों व मेंढों के रेट में भारी उछाल आने से नेताओं के कर्ताधर्ता परेशान हैं, वहीं ग्रामीण भेड़ पालकों को उम्मीद है कि इस बार चुनाव तक रेट और ज्यादा बढ़ सकते हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि एक मेंढ की कीमत 50 हजार तक पहुंच सकती है लेकिन ये रेट उसके वजन के आधार पर ग्रामीण तय करते हैं।
जमकर खिलाया जा रहा है अनाज
खास बात ये है कि ग्रामीण इन दिनों ऐसे बिकने वाले बकरों व मेंढों को जमकर अनाज खिलाते हैं, जिससे उनका एक महीने में ही वजन 8 से 10 किलो बढ़ जाता है लेकिन ऐसे बकरों व मेंढों में चर्बी ज्यादा निकलती है। इसी लालच में भेड़ पालक रेट में बढ़ोतरी कर देते हैं और जमकर ऐसे मौकों का फायदा उठाते हुए चांदी कूटते हैं। सराज के तावे राम का कहना है कि इस व्यवसाय में मेहनत काफी लगती है लेकिन चुनाव के वक्त बिकने वाले बकरों व मेंढों की कीमत भी खास होती है क्योंकि नेताओं में बड़े से बड़ा बकरा व मेंढा देवता को चढ़ाने व जनता को दिखाने की लालसा रहती है ताकि इस बात की ख्याति ज्यादा मिले कि फलां नेता ने इतना बड़ा बकरा या मेंढा काटा।
बकरे नहीं चाहते आएं हिमाचल प्रदेश चुनाव के नतीजे
गौरतलब है कि मंडी जिले के दरंग व सराज में सैंकड़ों बकरे चुनाव परिणाम आने के बाद कटते हैं। यहां नेताओं के खासमखास प्रधान व गांव के मुखिया अपने प्रत्याशी की जीत पर ग्रामीणों को दावत खिलाते हैं और वहां आभार जताने जीता हुआ विधायक भी जाता है। इस बार चुनाव नतीजों के बाद लोहड़ी नजदीक है और मकर संक्रांति के दिन लोग घरों व गांव में बकरे काटते हैं जो परंपरा का हिस्सा है।
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