मंदिरों में पुराने नोट चढ़ाकर भगवान को भी धोखा दे रहे हैं भक्त!
रअसल, मार्च महीने के बाद भी अप्रैल, मई और जून तक लाखों रुपए के पुराने नोटों का नकद चढ़ावा मंदिर न्यास को प्राप्त हुआ है।
शिमला। भला भगवान को काई धोखा दे सकता है! सुनने वाला तो यही कहेगा कि नहीं! लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध दो देवी मंदिरों ब्रजेशवरी देवी कांगड़ा व चिंतपुर्णी देवी मंदिरों में भक्त भगवान को धोखा दे रहे हैं। दोनों मंदिरों में भक्त नोटबंदी के दौरान बंद हुए पुराने नोटों को चढ़ा रहे हैं और अपनी मनौतियां मांग रहे हैं। दोनों मंदिरों में चढ़ावे में करीब दस लाख रुपए कीमत के नोट अब किसी काम के नहीं रहे।
भगवान को धोखा देने की बात पता नहीं चलती अगर गणना के दौरान लगातार पुरानी करंसी नोटों की आमद बढ़ने का पता नहीं चलता। नोटबंदी के इतने अरसे बाद भी मंदिर की गुल्लक से पुराने नोट निकल रहे हैं। यहां रोजाना चढ़ावे की गणना भी होती है। हैरानी की बात है कि मां चिंतपूर्णी के दरबार में अभी भी श्रद्धालुओं द्वारा चलन से बाहर हुए पुराने नोट मंदिर में चढ़ावे के रूप में चढ़ाए जा रहे हैं। दरअसल, मार्च महीने के बाद भी अप्रैल, मई और जून तक लाखों रुपए के पुराने नोटों का नकद चढ़ावा मंदिर न्यास को प्राप्त हुआ है। श्रद्धालु अब भी मंदिर में पुराने नोट चढ़ा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि 21 जून को मंदिर के दान पात्र से 500 के 203 नोट मिले हैं। मंदिर न्यास के पास अब तक 9 लाख 86 हजार रुपए हो चुके हैं। अप्रैल, मई, जून इन तीन माह में न्यास को कुल तीन लाख 36 हजार रुपए मूल्य के प्रतिबंधित नोट प्राप्त हुए हैं। श्रद्धालु अब भी मंदिर में पुराने नोट चढ़ा रहे हैं। मंदिर के कार्यकारी अधिकारी राणीया राम ने कहा दिसंबर माह के बाद मार्च तक कई श्रद्धालु माता के मंदिर में पुराने 500 और 1000 के चढ़ाते रहे।
जनवरी से मार्च तक 3 महीनों में मंदिर न्यास के पास पुराने नोटों से कुल साढ़े 6 लाख रुपए की राशि जमा है। आरबीआई में न बदलने के कारण अब ये राशि बेकार पड़ी हुई है। दरअसल, कुछ श्रद्धालुओं ने लाखों रुपए के पुराने नोटों का चढ़ावा मंदिर में एक दिन में चढ़ाया था। मंदिर न्यास के पास अभी तक साढ़े नौ लाख के करीब पुराने नोटों से प्राप्त धनराशि जमा हो चुकी है, जो मंदिर न्यास के लिए किसी काम की नहीं रही है।
यही हाल जिला कांगड़ा के माता बज्रेश्वरी देवी मंदिर का है। यहां चढ़ावे के रूप में पुराने नोट का आंकड़ा एक लाख 40 हजार रुपए के पार पहुंच चुका है। कांगड़ा के मंदिर अधिकारी पवन बडियाल बताते हैं कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट मंदिर में चढ़ाने का सिलसिला आज भी बरकरार है। 30 जून तक एक लाख 40 हजार 500 रुपए के पुराने नोट दानपात्रों से प्राप्त हो चुके हैं।
भक्त पुराने नोट दानपात्र में डालकर मांग रहे मन्नतें मांग रहे हैं। अब उनकी ये मन्नतें पुराने नोटों से पूरी होंगी या नहीं, लेकिन मंदिर प्रशासन के लिए यह नोट मुसीबत बने हुए हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उचित कारणों से पुराने नोट जमा नहीं कर पाने वाले लोगों के लिए सुगम रास्ता निकालने के लिए केंद्र सरकार को हिदायत दी है, लेकिन मंदिर में चढ़ावे की धन राशि को लेकर परिस्थितियां अलग हैं। बताया जाता है कि बैंक पहले ही मंदिर में चढ़ावे के पुराने नोट लेने से मना कर चुका है। मंदिर अधिकारी ने बताया कि जैसे अगले दिशा-निर्देश आएंगे, उसके अनुरूप मंदिर प्रशासन कार्रवाई करेगा।
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