हिमाचल के 'इजरायल' में लगती है जिस्म से लेकर नशे तक की मंडी, कोर्ट ने चलाया चाबुक
शिमला। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में कसोल एक ऐसा स्थल है जहां विदेशी नशा व सेक्स के कॉकटेल में अपने आपको सरोबार कर लेते हैं। इजराइल से भारत आने वाले हर विदेशी की चाहत रहती है कि वह कुछ दिन कसोल में बिताए। कसोल को यहूदियों का घर भी कहा जाता है। यही वजह है कि कई इजराइली यहां आए तो यहीं के ही होकर रह गए। इतना ही नहीं इन विदेशियों ने यहां अपना कारोबार भी सजा लिया है। लेकिन अब इस पर कोर्ट चाबुक चलने वाली है।
जिस्म से लेकर नशा सब मिलता है यहां
आज
कसोल
में
विदेशी
लोगों
का
खूब
कारोबार
फैल
रहा
है।
हर
रात
को
यहां
महफिलें
सजती
हैं।
जिसमें
नशीले
पदार्थों
के
कारोबार
से
लेकर
सेक्स
की
मंडी
सजती
है।
लेकिन
न
तो
सरकार
न
ही
पुलिस
इस
ओर
ध्यान
दे
पाई
है।
रेव
पार्टिंयों
की
आड़
में
यहां
सब
कुछ
होता
है,जिसे
भारतीय
समाज
में
नैतिक
नहीं
माना
जाता।
कसोल
में
चल
रही
गैरकानूनी
गतिविधयों
अवैध
निर्माण
और
बिना
इजाजत
लिए
होटल
और
अन्य
कमर्शियल
संस्थान
चलाने
को
लेकर
हिमाचल
प्रदेश
हाईकोर्ट
ने
कड़ा
नोटिस
लिया
है।
अदालत
ने
राज्य
के
मुख्य
सचिव
को
आदेश
दिए
हैं
कि
वह
अपने
निजी
शपथपत्र
के
माध्यम
से
उन्हें
इस
संबंध
में
विस्तृत
जानकारी
दें।
अदालत
ने
इस
मामले
में
डीजीपी
से
एक्शन
टेकन
रिपोर्ट
दायर
करने
को
भी
कहा
है।
कार्यवाहक
मुख्य
न्यायाधीश
संजय
करोल
और
न्यायाधीश
संदीप
शर्मा
की
खंडपीठ
ने
प्रदेश
में
बढ़
रहे
नशे
के
कारोबार
पर
लगाम
लगाने
वाली
जनहित
याचिका
की
सुनवाई
के
दौरान
नारकोटिक्स
कंट्रोल
ब्यूरो
चंडीगढ़
जोन
के
डायरेक्टर
की
ओर
से
दायर
शपथपत्र
का
अवलोकन
करने
के
बाद
यह
आदेश
पारित
किए।
कोर्ट ने लगाई प्रशासन को फटकार
अदालत ने इन मामलों पर सरकारी अमलों की सुस्ती पर अफसरशाही और पुलिस प्रशासन को फटकार भी लगाई। साथ ही कहा है कि अफसरशाही और पुलिस बल चंद प्रभावशाली लोगों के सामने असहाय बनकर नशे के कारोबार में संलिप्त लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के बजाय उन्हें बचाने में लगे हैं। अदालत ने पाया कि इस गांव में विदेशी लोग बस गए हैं और अपना कारोबार कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि स्थानीय लोगों की मदद के बिना विदेशी लोग काले कारोबार में संलिप्त नहीं हो सकते।
नशे का अड्डा है मलाना गांव
अदालत ने कुल्लू जिला के मलाना गांव का जिक्र करते हुए कहा कि आज की स्थिति में यह गांव नशे के कारोबार केंद्र लगता है। अदालत ने कहा कि प्रदेश भर में नशे का कारोबार चिंताजनक है और इसके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाए। अदालत ने हैरानी जताई कि कैसे कसोल में कैसे रेव पार्टियां हो रही हैं और कैसे वहां पर विदेशी इजाजत लेकर और बिना इजाजत के ठहर रहे हैं। खंडपीठ ने अपने आदेशों में स्पष्ट कहा है कि अब समय आ गया है कि राज्य और केंद्र सरकार को इस काले कारोबार पर शिकंजा कसने बारे कोई उचित पॉलिसी बनाए।
कई इलाकों में होती है अफीम की खेती
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और कोई अन्य एजेंसी को अवैध कारोबार को बंद करने में असहाय होता नहीं देखा जा सकता। अदालत ने पाया कि कुल्लू जिले के सैंज घाटी और चंबा, कांगड़ा, ऊपरी शिमला और उत्तराखंड के साथ लगते इलाकों में अफीम की खेती हो रही है, लेकिन कुल्लू और मनाली घाटी में स्थिति चिंताजनक है और अवैध खेती को नष्ट करने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं दिखता। खंडपीठ ने एसपी कुल्लू और मादक पदार्थ ब्यूरो को आदेश दिए हैं कि वह संयुक्त टीम का गठन कर इस गांव में छापेमारी करे और नियमानुसार अपराधियों के विरूद्ध कार्रवाई करे। अदालत ने डीजीपी को आदेश दिए हैं कि वह इस टीम की मदद को उचित पुलिस व्यवस्था करे। अदालत ने खेद जताया कि नशा निवारण जैसे कार्यक्रमों के लिए करोड़ों की राशि खर्ची जा रही है जबकि वास्तविकता यह है कि परिणाम केवल कागजी ही है। मामले पर सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
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