शिमला ट्वॉय ट्रेन से सफर करने वालों के लिए आई एक बड़ी खबर
शिमला। अगर आप कालका के बीच चलने वाली ट्वॉय ट्रेन के बारे में जातने हैं तो यह खबर आपके लिए है। शिमला में कालका-शिमला हेरिटेज रेलवे रूट पर सफर का समय कम करने की लगातार मांग होती रही है। रेल मंत्री ने कालका-शिमला रूट पर यात्रा अवधि तीन घंटे किए जाने हेतु संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए थे। समय कम करने प्रयास शुरू तो हुये, लेकिन कामयाब नहीं हो पाये। हालांकि इसके लिए अफसरों को छह माह के भीतर प्रस्ताव तैयार कर सौंपने को कहा गया है। रेल मंत्री के निर्देश के बाद डिवीजन कार्यालय ने ग्राउंड स्तर पर इस हेतु ट्रायल करने के निर्देश दिए थे। रेलवे इस रूट पर कई ट्रायल कर चुका है, लेकिन गति बढ़ाने में कामयाबी नहीं मिली है।
जानकारी के अनुसार, रेलवे को 6 माह का समय दिया गया है लेकिन ट्रायल के बाद जानकार इस योजना को सिरे से खारिज कर रहे हैं। रेलवे की ओर से इस लाईन पर किये गये ट्रायल फेल होने से लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। प्रस्ताव के तहत कालका से शिमला तक के सफर की अवधि को 6 घंटे से घटाकर 3 घंटे किया जाना है, जो अब तक हुए ट्रायल के बाद मुमकिन नहीं लग रहा। अब तक इसके लिये किये गये दो ट्रायल में सर्वश्रेष्ठ समय शिवालिक एक्सप्रेस ने निकाला है जो चार घंटे और 40 मिनट का है। रेलवे के मुताबिक इस लाईन पर अधिक घुमाव बाधा बन रहे हैं। कालका-शिमला रूट पर 48 डिग्री तक के 900 से भी अधिक घुमाव है।
रेलवे के अंबाला डिविजन के डीआरएम दिनेश कुमार ने बताया कि रेल मंत्री ने कालका-शिमला रूट पर यात्रा अवधि तीन घंटे किए जाने हेतु संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए थे। साल के अंत तक इस हेतु रिपोर्ट सौंपी जानी है। फिलहाल ट्रायल किए जा रहे हैं।
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19 साल बाद फिर से शिमला से ट्रेन बाबा भलखू चलेगी
शिमला रेलवे स्टेशन से पुराने बस अड्डे के रेलवे ट्रैक का टरायल सफल हो चुका है। जिससे अब शिमला से ट्रेन बाबा भलखू म्यूजियम तक चलेगी। इस रिर्पोट को अंबाला रेल प्रशासन को भेजा जा रहा है। स्टेशन मास्टर शिमला, प्रिया सेठी ने बताया कि बाबा भलखू रेल म्यूजियम तक शिमला ट्वाय ट्रेन चलाने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिये टरायल किया गया जो सफल रहा है। अगामी निर्देशों के बाद इस रेल मार्ग पर रेल चलनी शुरू हो जायेगी। रेलवे स्टेशन से ओल्ड बस स्टैंड तक वर्ष 1999 तक ट्रेन चलती थी। उसके बाद इसे बंद कर दिया गया और रेलवे स्टेशन तक ही ट्रेन चलाई जाती रही लेकिन अब 19 साल बाद इस टरेक पर दोबारा रेल के दौडऩे का रास्ता साफ हो गया है।
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