हाथरस केस: बहाल हुए FSL रिपोर्ट पर संदेह जताने वाले डॉक्टर, दो दिन पहले यूनिवर्सिटी ने नौकरी से निकाला था
हाथरस। चर्चित हाथरस केस मामले को लेकर विवाद अभी थम नहीं रहा है। हाल ही में पीड़िता की एफएसएल (FSL) रिपोर्ट पर सवाल उठाने वाले जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टर को टर्मिनेट कर दिया था। वहीं, अब दोनों डॉक्टरों का टर्मिनेशन खत्म कर वापस बहाल कर दिया गया है। दोनों डॉक्टरों को फिर से लीव वैकेंसी पर बहाल किया गया है।
दरअसल, हाथरस जिले में 14 सितंबर को दलित युवती के साथ हुए कथित गैंगरेप और मर्डर को लेकर देशभर में आक्रोश है। वहीं, नया विवाद अब इस बात पर शुरू हो गया है कि पीड़िता की एफएसएल रिपोर्ट पर संदेह जताने वाले डॉक्टर अजीम मलिक को काम से हटा दिया गया। पिछले महीने हाथरस मामले पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए डॉक्टर ने कहा था कि केस में एफएसएल रिपोर्ट का कोई मूल्य नहीं है। क्योंकि एफएसएल का सैंपल रेप के 11 दिनों बाद लिया गया, जबकि गाइडलाइन के मुताबिक इसका सैंपल रेप के 96 घंटों के अंदर लिया जाना चाहिए।
यह बयान उस समय सामने आया था, जब यूपी पुलिस ने एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर ही कहा था कि हाथरस पीड़िता के साथ गैंगरेप नहीं हुआ है। एफएसएल रिपोर्ट पर बयान सामने आने के बाद एमयू के वीसी प्रोफेसर तारिक मंसूर ने तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट करने के आदेश दिए थे। वहीं, अब फैसले की आलोचना होते देख एएमयू मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यू टर्न ले लिया है। कॉलेज प्रशासन ने लीव वैकेंसी पर फिर से दोनों डॉक्टरों को बहाल कर दिया है।
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