World Milk Day: आज है विश्व दुग्ध दिवस, जानिए कौन-सी है वो भैंस जो देती है सबसे ज्यादा दूध
चंडीगढ़। आज विश्व दूध दिवस है। दुनियाभर में इस दिन को मिल्क डे (World Milk day 2022) के तौर पर मनाया जा रहा है। भारत, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीकी देशों में असंख्य दुधारू पशु हैं और उनकी सैकड़ों नस्लें भी हैं। मगर सिर्फ भैंस की बात करें तो इनकी सर्वाधिक तादाद अपने देश में ही है। क्या आप जानते हैं कि कौन-सी भैंस सबसे ज्यादा दूध देती है? शायद नहीं जानते होंगे।

आज वर्ल्ड मिल्क डे पर विशेष
यहां हम आपको सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस के बारे में बताएंगे। यह भैंस हरियाणा के एक किसान के पास है, जिसकी नस्ल मुर्राह है, जो आकार में अन्य भैंसों से बड़ी होती है। किसान ने इस भैंस को रेश्मा नाम दिया है। यह इतना दूध देती है, जितना भारत में कोई और भैंस नहीं देती। इस भैंस के नाम 33.8 लीटर दूध देने का रिकॉर्ड है।

यह भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस
इस भैंस के बारे में एक खास बात यह भी है कि, इसे दुहने के लिए 2 लोगों को बैठना पड़ता है। इसकी फैट क्वालिटी 10 में से 9.31 है। यह तीसरी बार ब्याई है। और, कई डॉक्टरों की टीम ने इस भैंस का 7 बार दूध निकालकर देखा, उनके द्वारा पुष्टि के बाद नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDBB) की तरफ से 33.8 लीटर रिकॉर्ड के सर्टिफिकेट के साथ इस भैंस को 'उन्नत नस्ल' का दर्जा दे दिया गया।

हरियाणा में ज्यादा मिलती हैं इस नस्ल की भैंस
यह भैंस मुर्राह नस्ल की है, और इस नस्ल की भैंसें हरियाणा में ज्यादा मिलती हैं। इसलिए छोटा-सा हरियाणा प्रति व्यक्ति दुग्ध उत्पादन में देश में अग्रणी माना जाता है। वैसे एक रिपोर्ट के मुताबिक, दूध-दही वाले हरियाणा में अब दूध उत्पादन घटने लगा है। इसमें एक साल में ही 451 टन की कमी आ गई है। दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता भी प्रतिदिन 1142 ग्राम से घटकर 1060 ग्राम रह गई है। इसकी वजह यहां भैंसों की संख्या 17 लाख कम हो जाना है।

यहां गायों की संख्या भी 1.20 लाख बढ़ी
हरियाणा लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड के एमडी डॉ. एसके बगौरिया के अनुसार, हरियाणा में दूध का प्रमुख स्त्रोत भैंस ही हैं। इसके अलावा यहां गायों की संख्या भी बढ़ रही है। एक साल में गायों में 1.20 लाख की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि, बढ़ती जनसंख्या के बीच दूध का घटना अच्छा संकेत नहीं है। हालांकि, पशुओं की संख्या घटने के बावजूद यहां पशुपालक अब अच्छी गुणवत्ता के पशुओं को पालने लगे हैं, ताकि अधिक दूध का उत्पादन किया जा सके।