कृषि कानूनों पर सरकार से नहीं हो पा रही सुलह, तो भैंस के आगे बीन बजाकर किया ऐसा प्रदर्शन
जींद। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के विरोध-प्रदर्शन को आधे महीने से ज्यादा हो गया है। पंजाब-हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान राजधानी दिल्ली में सरकार से वार्ता कर अपनी मांगें पूरी कराने के प्रयास में जुटे हैं। हालांकि, अभी तक वार्ता सफल नहीं हो सकी है। सरकार ने कानून वापस लेने से मना कर दिया है। उधर, किसान संगठनों के नेता और विपक्षी पार्टियां इस बात पर अड़ गई हैं कि कानूनों को वापस लिया जाए। उनका कहना है कि, सरकार कोई बात नहीं मान रही। विरोध के इसी क्रम में जींद जिले में खापों ने भैंस के आगे हरियाणवी बीन बजाई। इससे उन्होंने यह जताने का प्रयास किया कि सरकार के आगे भी उनका आग्रह इसी तरह बेकार साबित हो रहा है।
एक वृद्ध खाप नेता बोले कि, 'देखिए बीन बजाने से भैंस ने भी सिर हिला दिया। ऐसे ही सरकार कर रही है, शायद प्रधानमंत्री का भी सिर हिल जाए। उन्होंने कहा कि, इतने दिनों बाद भी सरकार ने 3 कानूनों को रद्द नहीं किया।" प्रदर्शन के दौरान गांव की महिलाएं भी काफी संख्या में मौजूद रहीं। उन्होंने कहा कि, "अब हर रोज ऐसे-ऐसे कदम उठाए जाते रहेंगे, ताकि सरकार कुछ समझे। महिलाओं ने कहा कि, मांगें नहीं मानी गईं तो गांव में घुसने वाले नेताओं का स्वागत जूतों से करेंगे। कुछ बोलीं कि, हमारे आदमी तो दिल्ली गए हुए हैं और गांव की जिम्मेदारी अब हम ने संभाल ली है।''
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गांव-गांव
में
हो
रहीं
पंचायतें
गौरतलब
है
कि,
सूबे
की
खाप
पंचायतें
और
कुछ
निर्दलीय
विधायक
समेत
विपक्षी
दलों
के
नेता
किसान
संगठनों
के
समर्थन
में
डटे
हुए
हैं।
किसानों
के
आंदोलन
में
लोगों
की
भागीदारी
बढ़ाने
के
लिए
फतेहाबाद
में
भी
गांव-गांव
पंचायतें
हो
रही
हैं।
अलग-अलग
इलाकों
के
ग्रामीण
पंचायतें
करके
दिल्ली
कूच
का
फैसला
ले
रहे
हैं।
फतेहाबाद
के
समैण
गांव
में
ग्रामीणों
ने
एकत्रित
होकर
पंजाब-हरियाणा
के
प्रदर्शनकारियों
को
समर्थन
का
ऐलान
किया।
इसी
तरह
भीमेवाला
गांव,
नांगला,
नांगली,
बिठमड़ा
सहित
कई
गांवों
में
भी
दिल्ली
कूच
का
निर्णय
लिया
गया
है।