हरियाणा में पंचायत का तुगलकी फरमान, विधवा को 15 साल तक ससुराल में न घुसने का फैसला सुनाया
फतेहाबाद। हरियाणा में फतेहाबाद जिले के भूना क्षेत्र की ग्राम पंचायत ढाणी भोजराज में एक विधवा महिला पर 15 साल तक गांव में न घुसने का प्रतिबंध लगा दिया गया। यह तुगलकी फरमान जारी करते हुए ग्राम पंचायत के पंचों ने बाकायदा फैसले को लेटर पैड पर लिखा। उसके बाद उसे महिला के हाथ में थमा दिया। उसमें लिखा गया कि, फैसले के मुताबिक वो 15 साल तक अपने ससुराल में नहीं आएगी और मायके में ही अपने माता-पिता के पास रहेगी।
विधवा को 15 साल तक गांव में न घुसने का फरमान सुनाया
शर्मसार कर देने वाली यह घटना हिसार जिले के गांव चमारखेड़ा निवासी रणबीर सिंह की पुत्री राजबाला उर्फ बाला देवी के साथ हुई। बाला देवी का ब्याह करीब 13 साल पहले ढाणी भोजराज निवासी गोपाल सिंह के बेटे शमशेर सिंह के साथ हुआ था। कुछ समय तक सब ठीक रहा। उसके बाद बालादेवी की सौतेली सास कमलेश ने नविवाहित पति-पत्नी को घर से अलग कर दिया। जिसके चलते नवदंपति गांव में ही किराए के मकान में रहने लगा।
शादी के बाद ददिया सास ने घर से अलग कर दिया
बाला देवी का कहना है कि, 'बीते साल पति शमशेर की संदिग्ध परिस्थतियों में मौत हो गई। वह दिन था 2019 का 9 सितंबर। उसके बाद तो सौतेली सास और सौतेली ननंदों ने और ज्यादा जुल्म ढहाने शुरू कर दिए। मुझे किराए के मकान से भी निकाल दिया। मेरी नकदी-गहने एवं पति द्वारा जुटाया गया घरेलू सामान भी हड़प लिया। जीवन को जैसे ग्रहण ही लग गया। बाद में पंचायत बुलाई गई।'
पति की मौत हो गई तो ससुरालियों ने संपत्ति कब्जा ली
उस पंचायत में सरपंच के साथ गांव के कई लोगों ने बालादेवी को लेकर असंवेदनशील फैसला सुनाया। 25 मई के दिन उन लोगों ने बाला के हिस्से की जमीन तो दिलवा दी। मगर, गांव से निकलवा दिया। इस मामले ने शुक्रवार को तूल पकड़ा तो मीडिया में आया। बाला देवी अपने साथ हुई इस नाइंसाफी से बहुत खफा हैं। वो कहती हैं कि, 'मैं ग्राम पंचायत के पास इस उम्मीद से गई थी कि पंचायत के लोग पंच परमेश्वर होते है। वो मुझे उसे न्याय दिलवाएंगे और मदद करेगे।'
फिर पंचायत में भी बाला देवी को झटका लगा
मगर, उन्होंने तो तुगलकी फरमान सुनाया दिया। पंचों ने बाला के बेटे व बेटी को भी अलग कर दिया। बाला से कहा कि, अब वह अपने ससुराल में 15 वर्ष तक नहीं घुसेगी। यह पाबंदी लगाकर उन लोगों ने जीवन को नरक बना दिया। बाला कहती हैं कि, 'अब मैं अपने पिता के घर कब तक रहूंगी? छोटे-छोटे बहन-भाई को भी अलग-अलग कर दिया गया है। बेटा मेरे पास रहेगा और बेटी को गांव में सौतेली दादी के पास रखा जाएगा।'
बाला के दोनों बच्चों को भी अलग कर दिया
बाला कहती हैं, 'मेरी ददिया सास ने पति शमशेर सिंह को बहुत परेशान किया था। हमें घर से बाहर कर दिया था। अब वो अपनी पोती यानी कि मेरी बेटी के साथ भी जुल्म ढहा देगी। यह भी शर्मनाक है कि, मेरे बेटे के 18 साल का होने के बाद ही मुझे दोबारा वहां रहने की अनुमति दी गई है। मैं चाहती हूं कि मुझे और मेरे बच्चों को न्याय मिले।'
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क्या कहा ऐसे शर्मनाक फैसले पर सरपंच ने?
सरपंच साधू राम से संपर्क किया गया तो उसने कहा कि, "हां पंचायत ने यह फैसला सुनाया है कि महिला को ससुराल में नहीं रहने दिया जाएगा। हमने बाला देवी के आपत्ति जताए जाने पर एक पंचायत बुलाई थी, जिसमें उसके ससुराल वाले लगातार घरेलू विवाद में उससे उलझ रहे थे। प्रारंभ में, ससुराल वाले उस पर अपने पति की मृत्यु का आरोप लगा रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली। पंचायत में बाला देवी ने यह बात मान ली कि, जब उनका बेटा 18 वर्ष की आयु प्राप्त करेगा तो वो अपने ससुराल वापस लौटेगी।"
खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी बोले- कार्रवाई होगी
वहीं, इस मामले में भूना खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी महेन्द्र सिंह ने कहा, "पंचायत ने विधवा के साथ अन्याय किया है और सरपंच को ऐसे फैसले लागू करने का कोई अधिकार नहीं है। अब हम केवल सरपंच के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। यदि महिला आधिकारिक शिकायत दर्ज कराती है, तो बाकी की जांच पुलिस द्वारा की जाएगी।"
अब जिला प्रशासन एवं मुख्यमंत्री से लगाई गुहार
बताया जा रहा है कि, अब बाला की ओर से जिला प्रशासन एवं मुख्यमंत्री मनोहर से न्याय की मांग करते हुए सरपंच व सौतेली सास व नंद पर कार्रवाई की मांग की गई है।