हरियाणा: 4 दिन में टिड्डियों का दूसरी बार हमला, रेवाड़ी के 5 KM लंबे और 2 KM चौड़े इलाके में फैला दल
रेवाड़ी/पलवल। टिड्डियों का हरियाणा में फिर हमला हुआ है। यहां रेवाड़ी जिले में टिड्डी दल ने 4 दिन में दूसरी बार दस्तक दी। करीब 5 किलोमीटर लंबाई और 2 किलोमीटर चौड़ाई में फैला टिड्डी दल बावल क्षेत्र के गांव झाबुआ की ओर से घुस आया। प्रशासनिक टीमों को मंगलवार को दोपहर करीब 1.30 बजे टिड्डी दल के बावल क्षेत्र में प्रवेश की सूचना मिली। जिसके चलते स्प्रे के बंदोबस्त किए जाने लगे।
रेवाड़ी में टिड्डी दल का दूसरी बार हमला
तभी 1 घंटे बाद हवा का रुख बदलने के साथ ही टिडि्डयों ने भी रुख बदलना शुरू किया। इस तरह कुछ राहत मिली। बताया जा रहा है कि, गांव झाबुआ से दुल्हेड़ा की तरफ प्रशासन की टीम टिड्डी दल का पीछा करती रही। डीसी यशेंद्र सिंह के निर्देश पर कृषि विभाग सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी टिड्डियों से प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने कहा कि, लोग अपने आस-आस ज्यादा से ज्यादा शोर करें, डीजे, थाली, ड्रम, ढोल, पीपे बजाएं और टिड्डियों को बैठने न दें।
झुंझुनू से हरियाणा पहुंचे टिड्डियों के तीन दल
ज्ञातव्य है कि, इससे पहले कृषि मंत्रालय ने कहा था कि झुंझुनू से 26 जून की शाम टिड्डियों का दल हरियाणा में रेवाड़ी पहुंचा। जिसके चलते रातभर उन्हें नियंत्रित करने का काम चला। बचे हुए टिड्डे 3 समूहों में बंट गये, जिनमें से एक दल गुरुग्राम की ओर बढ़ा। वहां से टिड्डियां दिल्ली, फरीदाबाद और बाद में उत्तर प्रदेश की तरफ मुड़ गईं। टिड्डों का एक दल दिल्ली में द्वारका की तरफ बढ़ गया। जहां वहां से दौलताबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद और फिर उत्तर प्रदेश में भी प्रवेश कर गया। तीसरे दल को पलवल में देखा गया।
ज्वार—बाजरे की फसलों पर टूट पड़ीं टिड्डियां
वहीं, 27 जून के दिन गुरुग्राम-द्वारका एक्सप्रेस-वे से सटे इलाकों में टिड्डी दल ने कोहराम मचा दिया। गुरुग्राम शहर के विभिन्न हिस्सों में टिड्डे ही टिड्डे नजर आए। ज्वार-बाजरा की फसलों पर टिड्डियां टूट पड़ीं। आम के पेड़ों की पत्तियां कुतर डालीं। घरों में मौजूद तरह-तरह के पेड़-पौधों को खाने लगीं। टिड्डियों के झुंड ऐसे नजर आ रहे थे, जैसे अंधड चल रहा हो। न्यूज एजेंसी की तस्वीरों में दिखाया गया कि टिड्डियां सेक्टर-5, पालम विहार भी पहुंच गईं।
द्वारका में 10 किमी लंबे इलाके में फैल गया था दल
टिड्डियों का दल दिल्ली प्रदेश के द्वारका में करीब 10 किलोमीटर लंबे इलाके में फैल गया था। वहीं, दिल्ली-एनसीआर के निवासियों द्वारा टिड्डियों के हमले के वीडियो सोशल साइट्स पर पोस्ट किए जाने लगे। चिंताजनक बात यह रही कि, टिड्डियां देश की राजधानी दिल्ली की भूमि पर भी फसल खाती देखी गईंं।
'टिड्डी दल अगर हरियाणा आए तो हम दवा छिड़क कर मार देंगे, वो दोबारा नहीं उड़ पाएंगे'
7 जिलों में 1 माह पहले अलर्ट जारी हुआ था
हरियाणा में राज्य सरकार ने मई के महीने में ही राजस्थान व पंजाब से लगते 7 जिलों में अलर्ट जारी किया था। तब महेंद्रगढ़, भिवानी, रेवाड़ी, हिसार, फतेहाबाद, चरखी दादरी व सिरसा के डीसी को सभी तैयारियां करने के आदेश दिए गए। डीसी नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए गए थे। डीसी को नियमित रूप से मुख्यालय के संपर्क में रहने को कहा गया। साथ ही कीटनाशक दवाओं का भंडारण किया जाने लगा।
40 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की फसलें तबाह
हरियाणा के रेवाडी और गुरुग्राम जिले राजस्थान से सटे हुए हैं। राजस्थान के ज्यादातर जिलों में टिड्डियां फैल चुकी हैं। वहीं से पहले मध्य प्रदेश और यूपी पहुंचीं। अब यहीं से होते हुए हरियाणा के जिलों में भी आ गई हैं। कोरोना-महामारी के बीच पनपे टिड्डी संकट से कई राज्यों में किसानों की नींद उड़ी हुई है। 2-3 राज्यों में ही टिड्डियों के दल 40 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की फसलें चट कर चुके हैं।
दवाओं के लिए स्टॉक उपलब्ध, फिर भी ये हाल
प्रदेश में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने एक बैठक में कहा था कि पड़ोसी राज्यों पंजाब-राजस्थान में टिड्डी दल के हमले की रिपोर्ट आने के बाद हरियाणा को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। यहां टिड्डी दल के हमले को नियंत्रित करने के लिए हैफेड और हरियाणा भूमि सुधार और विकास निगम के माध्यम से कीटनाशकों अर्थात क्लोरपायरीफॉस-20% ईसी और क्लोरपायरीफॉस 50% ईसी का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध करवाया गया है।
कृषि मंत्री के दावे फेल हुए, मच गया कोहराम
टिड्डियों के संकट से बचाव के लिए प्रदेश के कृषि मंत्री दलाल ने दावा किया कि, हरियाणा में यह समस्या विकट नहीं होगी। उन्होंने कहा था- ''अगर टिड्डी दल हरियाणा में आए तो निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त तैयारियां हैं। हम दवा छिड़कर टिड्डों को मार देंगे।' इसके अलावा वह यह भी बोले थे कि हम उन्हें (टिड्डों) ऐसा कर देंगे कि वे दोबारा यहां नहीं उड़ पाएंगे।' मगर, अब गुरुग्राम के हालात को देखकर कृषि मंत्री का दावा बड़ा हास्यास्पद लगता है।