VIDEO: 3 बार आल इंडिया, 9 नेशनल और 24 स्टेट लेवल की चैंपियन शिक्षा अब दिहाड़ी को मजबूर
रोहतक। हरियाणा में रोहतक जिले के इंदरगढ़ गांव की रहने वाली वुशु खिलाड़ी शिक्षा दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। शिक्षा की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और अपना घर-खर्च चलाने के लिए माता-पिता के साथ दो वक्त की रोटी जुटाने में लगी रहती है। उसका खुद का मनरेगा-कार्ड भी नहीं बना है, तो अभी वह मां-बाप की हाजिरी लगवाने के लिए उनके साथ काम पर जाती है। उनके पास पहुंचकर हमारे संवाददाता ने उनसे बात की, जिसमें कई बातें सामने आईं। उनकी दयनीय हालत का भी पता चला।
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छोटी सी उम्र में कई उपलब्धियां, हौंसले बुलंद
शिक्षा वुशु की खिलाड़ी हैं और इस खेल में वह 3 बार ऑल इंडिया, 9 बार नेशनल और 24 बार स्टेट लेवल पर विजेता रही हैं। हरियाणा में गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं, लेकिन उनका घर देखकर लगता है कि हरियाणा सरकार ने उन्हें भुला ही दिया है। उन्हें आर्थिक मदद नहीं दी गई। ऐसे में दिहाड़ी का काम करना पड़ता है।'
'सरकार हेल्प करे, हमें कुछ प्रोत्साहन तो दे'
कई बार दूसरों के खेतों में धान लगाकर भी पैसे जुटाती हैं। घर की माली हालत ठीक नही हैं, फिर भी वुशु के गेम्स खेलने के हौंसले बुलंद हैं। वह कहती हैं कि, ''मैं आगे भी खेल सकती हूं, देश के लिए बाहर से गोल्ड लाकर दे सकती हूं। सरकार हेल्प करे, हमें कुछ प्रोत्साहन तो दे।'
मां ने सुनाया दुखड़ा
शिक्षा की मां अपना दुखड़ा सुनाती हुए कहती हैं कि, 'बेटी को जैसे-तैसे पढ़ाया लिखाया। उसने बहुत मेहनत की। दूर-दूर तक जाकर खेली। ढेरों मैडल जीते। नाम कमाया। मगर, हमारे हालत तो नहीं बदले। उसे कोई नौकरी भी नहीं मिली। पैसे कमाने का कोई और जरिया भी नहीं मिला। हम मजदूरी करते हैं, ये भी दिहाड़ी कर रही है। क्या फायदा हुआ? मनरेगा में काम न मिलने पर यह मजदूरों के साथ धान भी लगा रही है।''
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अनदेखी से हुआ यह हाल
शिक्षा कहती हैं कि, ''मेरा जो खेल है, उसके लिए इस लॉकडाउन में प्रैक्टिस नहीं हो पा रही। कहीं बाहर भी नहीं जाया जा रहा। मैं एमडीयू,पीयू चंडीगढ में ऑल इंडिया खेल चुकी हूं। झारखंड के रांची, शिलांग, असम, मणिपुर, इंफाल, हिमाचल मप्र , छतीसगढ़ तक जाकर राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हूं। 24 बार स्टेट लेवल की प्रतियोगिताएं जीतीं। गोल्ड मैडल मिले, लेकिन इनसे हालत नहीं सुधरे। सरकार कुछ करती तो माता-पिता भी खुश रहते।''