22 साल बाद जज की बेटी को मिला इंसाफ, सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने पर बरसों बाद आया फैसला
रोहतक. हरियाणा में एक जज को अपनी बेटी के लिए इंसाफ दिलाने में 22 साल लग गए। इसके लिए उसे अपना केस स्थानीय कोर्ट, सीबीआई, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ना पड़ा। यह जज हैं, रोहतक में तैनात रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे)। मामला था 1998 में उनकी बेटी से हुई मारपीट एवं अपहरण के प्रयास का।
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोहतक के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट ने आरोपित को मारपीट का दोषी पाते हुए 9 माह कैद की सजा सुनाई है। आरोपित पर 900 रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। महज 9 माह की जेल की सजा दिलाने में भी इतने सालों का वक्त लगा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, वर्ष 1998 की 31 जनवरी को एडीजे की बेटी को पीछे से आकर किसी ने धक्का मारा था, जिससे उसका सिर दीवार में लग गया और चोटें आई थीं। हमलावर ने बेटी के मुंह को पेपर से भी दबाने की कोशिश की और फिर वहां से फरार हो गया था। यह मामला अपहरण के प्रयास और मारपीट के केस के रूप में दर्ज किया गया था। कुछ माह बाद उनकी बेटी ने डीएलएफ कालोनी में आरोपित कंवर सिंह को पहचान लिया था।
कंवर सिंह के बारे में यह पता चला कि वह रोहतक के चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आॅफिसर की गाड़ी का ड्राइवर है। उसे तभी पकड़ लिया गया था। हालांकि, आगे कानूनी कार्रवाई नहीं हो सके। जिस पर शिकायतकर्ता यानी एडीजे ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका लगाई कि मामले की सीबीआइ जांच हो। तर्क यह था कि उनके पास एक्साइज एक्ट के ज्यादातर केस आते हैं। जिनमें बेल ऐप्लिकेशन होती हैं और उन्हें लेकर काफी दबाव रहता है।
केस की एक अन्य खास बात यह थी कि, केस में तत्कालीन सेशन जज, जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को भी शक के दायरे में रखा गया था। जिसके चलते हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ जांच हुई। जिसमें कमी बताई गई तो दोबारा सीबीआई जांच हुई। उसमें भी आरोपित निर्दोष मिला। लेकिन पीड़िता अपने बयानों से नहीं पलटी। इसलिए केस चलता रहा। आखिर में, पीड़िता की पक्ष सही ठहराते हुए, एडीजे आरपी गोयल की कोर्ट में अब फैसला आया है।