चीन से तनाव के बीच हमारी वायुसेना का 'चीता' सोनीपत में उतरा हाईवे पर, क्या हुआ आखिर- VIDEO
सोनीपत। हरियाणा में सोनीपत जिले से गुजर रहे कुंडली-गाजियाबाद-पलवल एक्सप्रेस-वे पर भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर की आज अचानक लैंडिंग हुई। इस हेलिकॉप्टर का नाम था- चीता। यहां चीता आखिर क्यों आया, इसे लेकर स्थानीय लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे। फिर वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि, हेलिकॉप्टर में कुछ तकनीक खामी आ गई थी, तो उसे हाईवे पर उतारना पड़ा। उस वक्त वहां 1 पायलट और 4 जवान थे।
सोनीपत में हाईवे पर हेलिकॉप्टर की लैंडिंग
अधिकारी ने बताया कि, हेलिकॉप्टर में सवार पायलट और को-पायलट सभी सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। हालांकि, इमरजेंसी लैंडिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। ये हेलिकॉप्टर स्वदेश निर्मित ही हैं। ये बहुत ही हल्के होते हैं, जिन्हें पहाड़-सड़क मार्ग, बड़ी बिल्डिंग की छतों या समुद्री जहाजों पर उतारा जा सकता है। इन्हें आधुनिक कलपुर्जों से बनाया गया।
4 मिनट में 1 किमी ऊपर जा सकता है चीता
भारतीय वायुसेना की आॅफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, चीता हेलिकॉप्टर की अधिकतम क्रूज गति 121 किमी/घंटा है और यह 4 मिनट में 1 किमी तक ऊपर जा सकता है। इस तरह के हेलिकॉप्टर का बेड़ा भारतीय वायुसेना के खोजी अभियानों-बचाव कार्यों और हताहतों को बचाकर निकालने तथा आरटीआर (रूट ट्रांसपोर्ट रोल) के लिए बहुत उपयोगी रहा है।
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लद्दाख में बर्फीले स्थानों पर पहुंचाता है रसद
चीता हेलिकॉप्टर को चीतल के बेड़े के तौर पर भी जाना जाता है। लद्दाख जैसे बर्फीले-पवर्तीय इलाकों में इन्हें भारतीय सैनिकों के लिए रसद-आपूर्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में इन हेलिकॉप्टर के पॉयलट की जान जाने का खतरा भी कम ही होता है। ऑपरेशनों मेघदूत के सेक्टरों में ऑपरेशनों में तेजी लाने के लिए चीतल हेलिकॉप्टर का बेड़ा तैनात किया गया है।
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एक साथ 3 लोग हो सकते हैं सवार
चीता हेलिकॉप्टर को सबसे पहले फ्रांस में बनाया गया। अब इसे देश में ही बना लिया जाता है। यह एक इंजन वाला टरबोकराफट, एफ ए सी/केसवैक हेलिकॉप्टर है, तीन यात्रियों अथवा 100 किलो अतिरिक्त भार (एक्सर्टनल स्लिंग लोड) वहन कर सकता है।