हरियाणा: प्रदेशभर के डॉक्टरों को कृत्रिम अंगों पर ट्रेनिंग देगा रोहतक पीजीआई
रोहतक। हरियाणा के चिकित्सकों को अब पीजीआई में हर हफ्ते 2 दिन कृत्रिम अंगों पर ट्रेनिग दी जाएगी। इसकी शुरूआत यहां तीन जिलों के 22 चिकित्सकों को ट्रेनिंग देकर की गई है। एक अधिकारी ने कहा कि, पीजीआई की ओर से यह सब तीसरी लहर की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। अगर बच्चे ज्यादा संख्या में संक्रमित होते हैं तो उन्हें अपने जिले में ही उचित इलाज मिल जाए। वहीं, उनका इलाज करने वाला चिकित्सक पूरी तरह से प्रशिक्षित होगा तो किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं होगी। डा. कुंदन मित्तल ने बताया कि हर सप्ताह मंगलवार व बुधवार को यह ट्रेनिग कार्यक्रम रखा जाएगा, जिसमें 19 से 22 चिकित्सकों को ट्रेनिग प्रदान की जाएगी।
आक्सीजन
की
मात्रा
का
ज्ञान
अति
आवश्यक
डा.
कुंदन
मित्तल
ने
बताया
कि
सभी
अस्पतालों
में
मशीनरी
उपलब्ध
है
और
विशेषज्ञों
की
कमी
होने
के
चलते
इन
शिशु
रोग
चिकित्सकों,
बेहोशी
विभाग
के
चिकित्सकों
व
मेडिकल
अफसरों
को
बताया
जा
रहा
है
कि
किस
मशीन
के
माध्यम
से
हम
गंभीर
मरीज
को
कैसे
बचा
सकते
हैं।
उन्होंने
बताया
कि
आक्सीजन
एक
दवा
है,
परंतु
खतरनाक
दवा
साबित
हो
सकती
है,
यदि
मात्रा
से
ज्यादा
दे
दी
जाए
तो।
ऐसे
में
हर
चिकित्सक
व
नर्स
को
पता
होना
चाहिए
कि
किस
मरीज
को
कितनी
आक्सीजन
की
मात्रा
प्रदान
करनी
होती
है।
डिप्टी डायरेक्टर भी ट्रेनिग लेने पहुंचीं
मंगलवार को हुई ट्रेनिग में चाइल्ड हेल्थ की डिप्टी डायरेक्टर डा. सिम्मीवीर भी ट्रेनिग लेने पहुंचीं। डा. प्रशांत ने बताया कि मंगलवार को चिकित्सकों को एचएनएफसी, एनआइवी व सीपैप लगाना सिखाया गया और उनसे खुद लगवाकर देखा गया। फिलहाल झज्जर, जींद व सोनीपत जिले के 22 चिकित्सकों को कृत्रिम अंगों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
ट्रेनिग के लिए भेजा था प्रस्ताव
तीसरी लहर की आंशका को देखते हुए पूरे प्रदेश के चिकित्सकों को ट्रेनिग प्रदान करने का प्रपोजल तैयार किया गया था, जिसे कुलपति डा. ओपी कालरा की ओर से काफी सराहा गया। एसीएस एमईआर आलोक निगम द्वारा उसे तुरंत मंजूरी प्रदान कर दी गई।
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प्रदेश में आइसीयू के शिशु रोग विशेषज्ञों की काफी कमी है और तीसरी लहर में यदि बच्चे ज्यादा प्रभावित हुए तो स्थिति को सरकारी अस्पतालों में संभालने के लिए पूरे प्रदेश के चिकित्सकों को चरणबद्ध तरीके से डा. कुंदन मित्तल व डा. प्रशांत द्वारा ट्रेनिग प्रदान की जा रही है। संस्थान का प्रयास है कि बच्चों के लिए 400 आक्सीजन बेड तैयार किए जाएं और एक 100 बेड का आइसीयू भी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही मेडिकल गैस पाइप लाइन पर भी कार्य किया जा रहा है।