हरियाणा सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के नियम संशोधित किए, 5 लाख तक के कार्य हो सकेंगे
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली हरियाणा सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के विकास कार्यों हेतु नियमों में संशोधन किया है। सरकार के जनसंपर्क एवं सूचना विभाग की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि, अब सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य 5 लाख तक के कार्य विभागीय स्तर पर करा सकेंगे। इससे ऊपर की राशि के निर्माण कार्य ई-टेंडरिंग से होंगे। सरकार के इस निर्णय को पंचायती राज संस्थाओं के लिहाज से काफी लाभकारी माना जा रहा है।
23
फरवरी
को
समाप्त
हो
रहा
मौजूदा
कार्यकाल
बता
दिया
जाए
कि,
सूबे
में
पंचायती
राज
संस्थाओं
के
कार्यकाल
का
इसी
माह
समापन
हो
रहा
है।
पांच
साल
बाद
फिर
से
सरपंच,
पंचायत
समिति
सदस्य
और
जिला
परिषद
सदस्य
के
चुनाव
होंगे।
विकास
एवं
पंचायत
विभाग
के
अतिरिक्त
मुख्य
सचिव
के
मुताबिक,
चुनावों
के
मद्देनजर
ही
सभी
पंचायतों
को
16
फरवरी
तक
अपना
पूरा
रिकार्ड
जमा
करवाने
के
निर्देश
दिए
गए
हैं।
संबंधित
अधिकारियों
के
साथ
बैठक
करने
के
भी
निर्देश
पंचायत
प्रतिनिधियों
को
दिए
हैं।
मौजूदा
पंचायतों
कार्यकाल
पूरा
होते
ही
सभी
पंचायतें
प्रशासकों
के
हवाले
हो
जाएंगी।
अतिरिक्त
मुख्य
सचिव
ने
बताया
कि,
हरियाणा
में
अभी
22
जिला
परिषद,
6205
ग्राम
पंचायत
और
142
ब्लाॅक
समितियां
हैं।
सरकार
ने
यह
बताई
देरी
की
वजह
इस
बार
पंचायती
राज
संस्थाओं
के
चुनाव
समय
पर
नहीं
हो
पाएंगे,
राज्य
सरकार
इस
पर
वजह
साफ
कर
चुकी
है।
ऐसे
में
काम-धाम
के
लिए
प्रशासनिक
अधिकारी
तैनात
होंगे।
मालूम
हो
कि,
5
साल
पहले
भी
जब
ये
चुनाव
हुए
थे
तो
6
महीने
देरी
से
ही
हुए
थे।
हालांकि,
उस
समय
भाजपा
सरकार
ने
पंचायत
चुनाव
में
उम्मीदवारों
के
लिए
शैक्षणिक
योग्यता
तय
की
थी।
जिस
पर
उनके
फैसले
को
पंजाब-हरियाणा
हाईकोर्ट
में
चुनौती
दी
गई
थी।
बाद
में
यह
मामला
सुप्रीम
कोर्ट
भी
पहुंचा।
फिर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सरकार
के
फैसले
को
उचित
ठहराया
और
दूसरे
राज्यों
को
भी
ऐसे
कदम
उठाने
के
सुझाव
दिए।
इस
बार
भी
हरियाणा
में
ये
चुनाव
कितने
देरी
से
होंगे,
इस
पर
लोगों
में
चर्चा
हो
रही
हैं।
हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव अब तय समय पर नहीं होंगे, वार्डबंदी का काम अधूरा होना