किसान आंदोलन पर हरियाणा के पूर्व CM हुड्डा बोले- सरकार जांच करा देती तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाता
करनाल। हरियाणा में करनाल जिले में पिछले महीने पुलिस एवं किसान आंदोलनकारियों के बीच हुए टकराव के बाद किसान संगठनों की ओर से व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। बड़ी संख्या में जुटे किसानों ने कल करनाल में किसान महापंचायत आयोजित की और मिनी सचिवालय का घेराव शुरू कर दिया। किसानों के पुलिस-प्रशासन से टकराव पर अब सियासी गलियारों में बहस छिड़ी हुई है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी करनाल की घटना पर बयान दिया है।
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि, "अब जो कुछ हो रहा है...उसमें सरकार की कमी है। उन्होंने कहा कि, सरकार शुरू में ही न्यायिक जांच करा देती तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाता। उन्होंने कहा कि, टकराव से काम नहीं चलेगा। वे प्रदर्शन करें, सभी का अधिकार है। सरकार भी टकराव की स्थिति न आने दे। उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि सरकार किसानों से तुरंत बातचीत शुरू करे। किसानों की जो मांगें हैं, उन्हें पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों में कमियां हैं।"
इधर,
कृषि
मंत्री
ने
की
अपनी
सरकार
की
तारीफ
किसान
संगठनों
से
जारी
तनाव
के
बीच
केंद्रीय
कृषि
मंत्री
नरेंद्र
सिंह
तोमर
ने
आज
मीडिया
से
बात
की।
उन्होंने
अपनी
सरकार
की
तारीफों
के
पुल
बांधे।
तोमर
बोले
कि,
"हम
देख
रहे
हैं
कि
लॉकडाउन
के
बाद
भी
कृषि
पैदावार,
उपार्जन
बढ़
रहा
है।
कृषि
का
अर्थव्यवस्था
में
योगदान,
व
जीडीपी
में
हिस्सा
बढ़
रहा
है।"
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तोमर ने कहा, "कृषि क्षेत्र में काम करने वाले उद्योगों ने सिर्फ अपना कामकाज ही नहीं किया, बल्कि अधिक बिक्री करके देश के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करने में सफलता प्राप्त की। यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि, हमने कृषि की प्रधानता को स्वीकार किया। इस क्षेत्र को लॉकडाउन की अवधि में भी खोला और जो सुविधाएं प्रदान की जा सकती थीं वो प्रदान कीं।"