घायल पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से 1200 KM दूर बिहार पहुंची 7वीं की छात्रा
गुरुग्राम। 15 साल की एक लड़की अपने घायल पिता को साइकिल पर बिठाकर 1200 किलोमीटर का सफर कर घर पहुंची। कोरोना लॉकडाउन के कारण उन्हें कोई वाहन नहीं मिला था। ऐसे में लड़की ने गुरुग्राम से बिहार तक का रास्ता खुद साइकिल से नापा। करीब एक हफ्ते तक पिता को साइकिल पर पीछे बिठाकर वह लड़की बिहार के दरभंगा पहुंची।
15 साल की स्वाभिमानी ज्योति
लड़की का नाम ज्योति कुमारी है। उसने कहा कि, पिता मोहन पासवान के घायल होने की वजह से खुद ही इतनी लंबी दूरी तक साइकिल चलाई। वह अभी 7वीं क्लास में पढ़ती है। ज्योति बोली- सफर के दौरान मुझे डर लगता था कि कहीं पीछे से कोई गाड़ी टक्कर न मार दे। हां, रात के समय हाईवे पर साइकिल चलाते हुए डर नहीं लगा, क्योंकि सैकड़ों प्रवासी मजदूर भी सड़क से गुजर रहे थे। मगर, किसी गाड़ी से टक्कर होने को लेकर चिंतित थी।
एक हफ्ते में 1200 किमी दूरी नापी
ज्योति ने बताया कि, हम पिता-पुत्री ने साइकिल पर 10 मई को गुरुग्राम से रवाना हुए थे। दिन-रात चले। उसके बाद 16 मई को अपने गांव पहुंच गए। इस यात्रा के लिए हमने 500 रुपये में साइकिल खरीदी। एक ट्रक ड्राइवर ने दरभंगा पहुंचाने के लिए हमसे 6 हजार रुपये मांगे, जो हम देने में समर्थ नहीं थे। पापा पहले गुरुग्राम में ई-रिक्शा चलाते थे। मगर, लॉकडाउन के बाद उन्हें ई-रिक्शा अपने मालिक के पास जमा करना पड़ा। इसी दौरान उन्हें पैर में चोट भी लग गई।
पिता पुत्री दोनों क्वारंटाइन, बताई गुरुग्राम छोड़ने की वजह
बताया जा रहा है कि, दरभंगा में अपने गांव पहुंचने के बाद पिता-पुत्री को दूसरों से अलग रखा जा रहा है। ज्योति घर पर क्वारंटाइन में हैं। जबकि, पिता को एक क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया गया है। ज्योति का कहना है कि, पापा के पास पैसे नहीं बचे थे। मकान मालिक पैसे देने या फिर घर खाली करने के लिए दबाव बना रहे थे। इस वजह से हमने साइकिल से ही घर लौटने का फैसला लिया।