गंगा के लिए एक और संत ने किया ऐलान- 27 अप्रैल से जल भी त्याग दूंगा
हरिद्वार। मातृ सदन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने एक बार फिर केन्द्र, राज्य सरकार और प्रशासन पर जमकर प्रहार किया। कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए 178 दिनों से नींबू-पानी लेकर मातृसदन के संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द तपस्या कर रहे हैं लेकिन उनकी सुधि लेने तक कोई नहीं आया। अब वे 27 अप्रैल से जल का भी त्याग कर देंगे।
मातृ सदन आश्रम में पत्रकारों से रूबरू होते हुये स्वामी शिवानंद ने कहा कि तपस्यारत आत्मबोधनंद की हत्या शासन-प्रशासन कराना चाहती है। उन्हें इसी मकसद से उठाकर एम्स ले जाया गया लेकिन वे वहां से चले आये। कहा कि एम्स ऋषिकेश में भी तपस्यारत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को जबरन आश्रम से उठाकर ले जाया गया और उनकी हत्या कर दी गई। बताया कि जब केन्द्र सरकार बिल्कुल निष्ठुर हो गई तो अंतिम क्षणों में उनहोंने जल का त्याग कर दिया था। उन्होंने श्री श्री रविशंकर पर भी प्रहार किया। कहा कि वह सरकार के एजेंट के तौर पर आये थे न कि वे एक संन्यासी की बात सुनने आये थे।
कहा कि संत आत्मबोधानंद के अनशन को बृहस्पतिवार को 178 दिन पूरे हो गए, लेकिन शासन-प्रशासन की तरफ से वार्ता का कोई प्रयास नहीं किये जाने के कारण आत्मबोधानंद ने जल त्यागने की घोषणा की। कहा कि ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद बीते वर्ष 24 अक्टूबर को अनशन पर बैठे थे। आत्मबोधानंद ने बताया कि अनशन के दौरान ना तो उनसे वार्ता करने का प्रयास किया गया और ना ही उनकी मांग मानी गई।
उन्होंने कहा कि मीडिया सहित अन्य माध्यम से शासन-प्रशासन को वार्ता के लिये 25 अप्रैल तक मांगों को मानने के लिये समय दिया है। यदि इस नियत तिथि में उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं होती है तो वे गंगा के लिये 27 अप्रैल से जल का भी त्याग कर देंगे। बताते चलें कि स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ़ प्रो. जीडी अग्रवाल ने 112 वें दिन यानि 11 अक्टूबर को एम्स में शरीर छोड़ दिया था।
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