महाकुंभ 2021: 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के लिए बंद हो जाएगी गंगनहर, निर्माण कार्य पकड़ेंगे रफ्तार
हरिद्वार। 15 अक्टूबर की आधी रात से गंगनहर एक महीने के लिए बंद होने जा रही है। गंगनहर बंद होने से हरिद्वार समेत कई घाट गंगाजल विहीन हो जाएंगे। दरअसल, कुंभ मेल से पूर्व हरिद्वार में चार गंगा घाटों और एक पुल का निर्माण होना है। लेकिन नहर बंदी नहीं होने की वजह से निर्माण कार्य अटका हुआ था। हालांकि, कुंभ मेल प्रशासन और हरिद्वार जिला प्रशासन ने गंगनहर में जल बंदी के लिए कई बार उत्तर प्रदेश शासन और सिंचाई विभाग को पत्र लिखे थे। लेकिन कोई फायद नहीं हुआ। आखिरकार केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पाखरियाल निशंक ने नहर बंदी के लिए हस्तक्षेप किया। जिसके बाद 15 अक्तूबर की आधी रात से 15 नंबर की आधी रात तक मरम्मत और रखरखाव के काम के लिए बंद रहेगी।
महाकुंभ
के
आयोजन
के
लिए
बचा
तीन
माह
का
समय
हरिद्वार
में
महाकुंभ
के
आयोजन
के
अब
तीन
माह
शेष
बचे
हैं।
मेलाधिकारी
दीपक
रावत
ने
सभी
अधिकारियों
को
समय
पर
सभी
निर्माण
कार्य
पूरा
करने
के
निर्देश
दिए
थे।
इनमें
सात
गंगा
घाट
और
हरिद्वार-देहरादून
हाईवे
पर
केबिल
पुल
के
पास
निर्माणाधीन
पुल
भी
शामिल
था,
लेकिन
चार
घाटों
और
पुल
के
निर्माण
के
लिए
नहर
बंदी
बहुत
जरूरी
थी।
बीते
जुलाई
में
जिला
विकास
समन्वय
एवं
निगरानी
समिति
की
बैठक
में
केंद्रीय
शिक्षा
मंत्री
डॉ.
रमेश
पोखरियाल
निशंक
के
समक्ष
यह
मामला
आया
था।
तब
उन्होंने
उत्तर
प्रदेश
सरकार
के
जल
संसाधन
मंत्री
महेंद्र
यादव
से
वार्ता
की
थी।
25
दिन
में
सभी
घाटों
का
निर्माण
कार्य
किया
जाएगा
पूरा
जल
संसाधन
मंत्री
ने
शासन
स्तर
पर
कार्यवाही
का
आश्वासन
दिया।
साथ
ही
डॉ.
निशंक
ने
नहर
बंदी
के
लिए
उत्तर
प्रदेश
शासन
को
पत्र
भी
भेजा।
सिंचाई
विभाग
के
अधिशासी
अभियंता
डीके
सिंह
ने
बताया
कि
25
दिन
में
सभी
घाटों
का
निर्माण
कार्य
पूरा
कर
लिया
जाएगा।
वहीं
हाईवे
निर्माण
की
कार्यदायी
संस्था
सैम
इंडिया
के
परियोजना
प्रबंधक
अजय
शर्मा
ने
बताया
कि
पुल
का
एक
स्पान
बन
गया
गया
है।
शेष
तीन
स्पान
एक
माह
के
भीतर
बन
जाएंगे।
अधिकारियों
के
बीच
तालमेल
जरूरी
मीडिया
रिपोर्ट्स
के
मुताबिक,
बीते
साल
अक्तूबर
को
अधिकारियों
में
तालमेल
की
कमी
के
चलते
निर्माणाधीन
गंगा
घाट
बह
गए
थे।
दरअसल
यूपी
सिंचाई
विभाग
ने
रात
को
अचानक
गंगनहर
में
पानी
छोड़
दिया।
जबकि
उत्तराखंड
सिंचाई
विभाग
को
इसकी
खबर
तक
नहीं
लगी।
इसके
बाद
दोनों
ही
राज्यों
के
विभाग
नुकसान
के
लिए
एक
दूसरे
को
जिम्मेदार
बताने
लगे,
लेकिन
अब
महाकुंभ
के
आयोजन
में
बेहद
कम
समय
बचा
है।
ऐसे
में
अधिकारियों
का
आपसी
तालमेल
और
अपडेट
रहना
बहुत
जरूरी
है।
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