मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही पिछली सरकार की मीसाबंदी पेंशन योजना हो सकती है बंद
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद प्रदेश में बहुत कुछ बदलने के आसार हैं। नई सरकार पिछली भाजपा सरकार की मीसाबंदी योजना को बंद कर सकती है। साथ ही उन योजनाओं को भी बंद किया जा सकता है जिसका लाभ सीधे जनता नहीं मिल रहा है। सूत्रों की मानें तो सरकार के सबसे पहले टारगेट पर मीसाबंदी योजना है क्योंकि इस योजना से सिर्फ भाजपा या उनके कार्यकर्ताओं को ही लाभ पहुंच रहा है। इस योजना के तहत मीसाबंदियों को हर माह 25 हजार की राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। कांग्रेस इस योजना को फिजूल खर्ची मान रही है और सबसे पहले इसे बंद करने की तैयारी में है। इसके बाद अन्य ऐसी ही योजनाओं को बंद करने पर विचार किया जाएगा।
132 लाख करोड़ का सरकार पर है कर्जा
कांग्रेस की नई सरकार का गठन 16 दिसंबर तक हो जाएगा। चूंकि अभी सरकार पर 132 लाख करोड़ का कर्जा है इसलिए गठन के बाद सरकार का पहला कदम अनावश्यक खर्चों पर लगाम लगाना होगा। सूत्रों के अनुसार सरकार सबसे पहले उन योजनाओं को बंद करेगी जिसकी आवश्यकता नहीं है अथवा इन योजनाओं से जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है। मीसाबंदी योजना को भाजपा सरकार ने आपातकाल के दौरान जेल गए नेताओं के लिए चालू किया था।
सरकार पहले इस योजना को करेगी बंद
इस योजना के तहत मीसा बंदी को हर माह 25 हजार रूपए पेंशन के रूप दिए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस सरकार सबसे पहले इस मीसा बंदी योजना को ही बंद करेगी। इस योजना के बंद होने से हर माह करोड़ों रूपए के रूप में बटने वाले अनावश्यक खर्च पर रोक लगेगी। इसके बाद इसी तरह की कई अन्य योजनाओं को भी बंद कर दिया जाएगा, जिससे सरकार का वित्त बोझ हल्का हो सके।
फर्जी मीसाबंदियों से हो सकती है वसूली
कांग्रेस सरकार इस योजना का लाभ लेने के लिए फर्जी तौर पर मीसाबंदी बन गए लोगों से वसूली भी करने की तैयारी में है। कांग्रेस के ही एक बड़े नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मीसाबंदी के नाम पर 40-45 साल के लोग भी पेंशन ले रहे हैं। यानी जिनका जन्म मीसा के समय हुआ वह भी फर्जी तौर पर पेंशन ले रहे है। मीसाबंदी पेंशन से सरकार पर प्रतिवर्ष 110 करोड़ रूपए से ज्यादा का अतिरिक्त भार भी पड़ रहा हैं।
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