ग्वालियर सीट के चुनाव में 39 साल बाद बना अजब संयोग, पहले पिता अब बेटे हैं आमने-सामने
ग्वालियर सीट के चुनाव में 39 साल बाद बना अजब संयोग, पहले पिता अब बेटे होंगे आमने-सामने
Gwalior News, ग्वालियर। चुनाव में इतिहास अक्सर खुद को दोहराता है। ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में सामने आया है। यहां पर लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में 39 साल बाद अजब संयोग बना, जिसके चलते 1980 के लोकसभा चुनाव में जो प्रत्याशी आमने-सामने थे। अब 2019 के चुनाव में इनके बेटे एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं।
दरअसल,
लोकसभा
चुनाव
2019
में
भाजपा
ने
विवेक
शेजवलकर
और
कांग्रेस
ने
अशोक
सिंह
को
उम्मीदवार
घोषित
कर
रखा
है।
खास
बात
यह
है
कि
वर्ष
1980
के
लोकसभा
चुनाव
में
विवेक
के
पिता
नारायण
कृष्ण
शेजवलकर
और
अशोक
सिंह
के
पिता
राजेन्द्र
आमने-सामने
थे।
यह
चुनाव
25
हजार
वोटों
से
शेजवलकर
ने
जीता
था।
दो
बार
ग्वालियर
के
महापौर
रह
चुके
विवेक
पहली
बार
लोकसभा
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
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नारायण
कृष्ण
शेजवलकर
की
संघ
में
गहरी
पैठ
रही
है।
ये
लगभग
चार
दशक
तक
सक्रिय
राजनीति
में
रहे।
वह
दो
बार
ग्वालियर
से
सांसद
रहे।
1977
में
उन्होंने
कांग्रेस
के
सुमेर
सिंह
को
हराया
था।
1980
में
कांग्रेस
के
ही
राजेंद्र
सिंह
को
परास्त
किया।
1991
के
लोकसभा
चुनाव
में
नारायण
कांग्रेस
के
माधवराव
सिंधिया
से
लगभग
1
लाख
वोटों
से
हार
गए
थे।
राजेंद्र प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे
अशोक सिंह के पिता राजेंद्र सिंह 1980 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद वर्ष 2003 में विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। हालांकि राजेंद्र 1972 में ग्वालियर ग्रामीण से विधानसभा चुनाव जीते थे। वे 1975 से 1977 तक प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। अपने पिता की विरासत संभालने वाले अशोक तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।