असम में बाढ़ से 22 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित, हजारों घर-बाड़े तबाह, 126 लोगों ने जान गंवाई
गुवाहाटी। पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम में बाढ़ से कोहराम मचा हुआ है। इस विपदा के कारण विभिन्न जिलों के 22 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। वहीं, सैकड़ों की जान जा चुकी है। कल पांच और लोगों की जान चली गई। हजारों के घर-बाड़े तबाह हो गए। सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और अन्य राज्य एजेंसियां रेस्क्यू आॅपरेशंस चला रही हैं।
Recommended Video
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बाढ़ की स्थिति का मौका ए मुआयना करने के लिए कल सिलचर शहर का दौरा किया। यह दो दिनों में उनका दूसरा दौरा था, जिसमें उन्होंने मालिनी बील, पब्लिक स्कूल रोड, राधामाधब रोड, कनकपुर, रंगीरखरी, सोनाई रोड, राष्ट्रीय राजमार्ग और तारापुर आपदा सहित बाढ़ क्षेत्रों का निरीक्षण किया। राज्य सरकार के अधिकारियों ने माना है कि, अब तक यहां 25 जिलों में 22 लाख से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। पिछले 24 घंटों में बाढ़ के पानी में डूबने से चार बच्चों समेत कम से कम पांच और लोगों की मौत हो गई।
कल असम में बारपेटा, कछार, दरांग, करीमगंज और मोरीगांव जिलों में एक-एक लोगों की मौत हुई है, क्योंकि 22 लाख से अधिक लोग अब भी प्रभावित हैं। सरकारी आंकड़ों में बताया गया कि, राज्य में इस साल आई बाढ़ और भूस्खलन में मरने वालों की कुल संख्या अब बढ़कर 126 हो गई है। इनमें से 17 से अधिक लोग भूस्खलन में मारे गए। यहां बारपेटा सबसे बुरी तरह प्रभावित जिला है, जहां लगभग सात लाख लोग संकट में हैं, इसके बाद नागांव (5.13 लाख लोग) और कछार (2.77 लाख से अधिक लोग) हैं।
बाढ़ से प्रभावित जिले बजली, बक्सा, बारपेटा, विश्वनाथ, कछार, चिरांग, दरांग, धेमाजी, धुबरी, डिब्रूगढ़, दीमा हसाओ, गोलपारा, गोलाघाट, हैलाकांडी, होजई, कामरूप, कामरूप मेट्रोपॉलिटन, कार्बी आंगलोंग पश्चिम, करीमगंज, लखीमपुर हैं। इनमें माजुली, मोरीगांव, नगांव, नलबाड़ी, सोनितपुर, दक्षिण सलमारा, तामूलपुर और उदलगुरी शामिल हैं। राज्य भर में 74,706 हेक्टेयर में बाढ़ के पानी से फसल प्रभावित हुई है। पहले जो धान के हरे भरे खेत हुआ करते थे अब निराशा के सागर में बदल गए हैं।
राज्य भर में 564 राहत शिविरों में 2,17,413 लोग फंसे हुए हैं। बाढ़ के पानी में कहीं खोये हुए लोग इन अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और अन्य राज्य एजेंसियां राज्य में बाढ़ का पानी कम होने के बावजूद राहत एवं बचाव अभियान जारी रखे हुए हैं। हालांकि, चिंता की बात यह है कि नगांव जिले में कोपिली नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
कछार जिले में कुल 2,77,158 लोग प्रभावित हुए हैं, सिलचर में कम से कम 96,972 लोग अभी भी पीड़ित हैं। 1.09 लाख से अधिक लोग अभी भी जिले के 230 राहत शिविरों में रह रहे हैं, जिनमें सिलचर में 25,223 लोग शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने बाद में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की और संकटग्रस्त लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही गुवाहाटी से 15-20 डॉक्टरों को सिलचर भेजा जाएगा। सीएम सरमा ने निर्देश दिए कि शहर के प्रत्येक नगर पालिका वार्ड में स्वास्थ्य शिविर लगाया जाए, साथ ही स्वास्थ्य विभाग को कम से कम अगले सात दिनों तक लोगों के घरों में दवा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने सिलचर में बिजली आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की और असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एपीडीसीएल) के अधिकारियों को शहर में बिजली आपूर्ति को चरणबद्ध तरीके से बहाल करने का निर्देश दिया। सीएम सरमा ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ कर्मियों को विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंचने और बाढ़ वाले स्थानों में फंसे लोगों को बचाने के लिए यथासंभव प्रयास जारी रखने के लिए भी कहा।
सीएम ने यह भी बताया कि गुवाहाटी से सिलचर एक हजार लीटर मिट्टी का तेल और पर्याप्त सब्जियां और पशु दवा भेजने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में प्रशासन के पास जो नावें उपलब्ध हैं, उन्हें एक किट जिसमें माचिस, मोमबत्ती, शिशु आहार और अन्य आवश्यक वस्तुएं विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचानी चाहिए।