असम में बाढ़ ने 121 की ली जान, 25 लाख लोग प्रभावित, CM ने नाव पर सवार होकर किया दौरा
गुवाहाटी, 26 जून। असम में भारी बारिश के चलते बाढ़ ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया है। पिछले 24 घंटों में जिस तरह से बारिश हो रही है उसकी वजह से शनिवार को बाढ़ में मरने वालों की संख्या 121 तक पहुंच गई। बारपेटा, कचार, दारंग, गोलघाट जिले में 1-1 मौतें हुई हैं। हालांकि शनिवार को पहले की मुकाबले बाढ़ के हालात बेहतर हुए हैं। तकरीबन 25.10 लाख लोग, 2894 गांव, 27 जिले असम में बाढ़ से प्रभावित हुए है।
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मुख्यमंत्री
को
सौंपा
गमुसा
वहीं
बाढ़
के
हालात
का
जायजा
लेने
के
लिए
खुद
मुख्यमंत्री
हिमंत
बिश्व
सरमा
नाव
से
इलाके
में
पहुंचे।
हिमंत
बिश्व
सरमा
बराक
घाटी
इलाके
में
रहने
वाले
लोगों
का
हाल
लेने
के
लिए
पहुंचे,
यहां
एक
व्यक्ति
ने
बाढ़
के
बावजूद
पानी
में
डूबते
हुए
मुख्यमंत्री
को
गमुसा
भेंट
किया।
वहीं
असम
के
मोरिगांव
जिले
में
हालात
अब
बेहतर
हो
रहे
हैं,
यहां
पानी
अब
कम
हो
रहा
है।
असम
स्टेट
डिजास्टर
मैनेजमेंट
अथॉरिटी
यहां
लोगों
की
मदद
में
जुटा
है।
कई
जिले
बाढ़
से
प्रभावित
असम
में
बाढ़े
से
प्रभावित
होनो
वाले
जिले
बजाली,
बक्सा,
बारपेटा,
बिश्वनाथ,
काचर,
चिरांग,
दारंग,
धेमजी,
ढुबरी,
डिब्रूगढ़,
डीमा
हसाओ,
गोलघाट,
हैलाकांडी,
होजई,
कमरूप,
कर्बी,
करीमगंज,
लखीमपुर,
मोरिगांव,
नागांव,नालबाड़ी,
साउथ
तसलमारा,
तमूलपुर
और
उदलगुरी
हैं।
इन
जिलों
में
बाढ़
ने
सबसे
ज्यादा
मुश्किलें
खड़ी
की
हैं।
बाढ़
की
वजह
से
लाखों
लोग
बेघर
हो
गए,
जबकि
दर्जनों
लोगों
की
जान
चली
गई।
हजारो
एकड़
खेत
पानी
में
डूबा
बारपेटा
की
बात
करें
तो
बाढ़
का
सबसे
ज्यादा
असर
यहां
हुआ
है,
तकरीबन
7.50
लाख
लोग
यहां
बाढ़
से
प्रभावित
हुए
हैं।
5.11
लाख
लोगो
को
बाढ़
के
चलते
अभी
तक
राहत
नहीं
पहुंच
पाई
है।
वही
2.33
लाख
लोग
637
अलग-अलग
राहत
कैंप
में
रह
रहे
हैं।
80346
से
हेक्टेअर
से
अधिक
कृषि
भूमि
बाढ़
की
वजह
से
डूब
गई
है।
सिलचर
में
बाढ़
के
चलते
हालात
काफी
खराब
हैं।
कई
इलाके
यहां
पिछले
6
दिन
से
डूबे
हैं।
राहत
कैंप
में
रहने
को
मजबूर
बराक
नदी
जोकि
सिलचर
शहर
से
जुड़ी
है,
यहां
लोगों
की
हालत
और
भी
खराब
है,
यहां
ना
तो
बिजली
है,
ना
ही
पीने
का
पानी
है।
पिछले
6
दिनों
से
यहां
लोगों
का
जीवन-यापन
मुश्किल
से
हो
रहा
है।
सिलचर
में
तकरीबन
2.78
लाख
लोग
प्रभावित
हैं।
यहां
224
राहत
कैंप
चल
रहे
हैं,
जहां
पर
तकरीबन
96689
लोग
बाढ़
से
प्रभावित
हैं।
ब्रह्मपुत्र
नदी
की
बात
करें
तो
यहां
अभी
भी
पानी
खतरे
के
निशान
से
ऊपर
बह
रहा
है।