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विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के नीचे एक 3 मंजिला इमारत भी है, PM मोदी के आदेश पर जांच में खुलासा

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गिर सोमनाथ। गुजरात के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल के पास स्थित सोमनाथ मंदिर, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला मंदिर माना जाता है। यह गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल भी है। इसे लेकर आईआईटी गांधीनगर व अन्य 4 सहयोगी संस्थाओं के ऑर्कियोलॉजिकल एक्सपर्ट्स ने जीपीआर इंवेस्टिगेशन किया था, जिसके आधार पर भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से बड़ा दावा किया गया है। विभाग द्वारा कहा गया है कि, सोमनाथ मंदिर के नीचे भी एक तीन मंजिला इमारत है। वह इमारत एल आकार की है। इसके अलावा इंवेस्टिगेशन में यह भी सामने आया है कि सोमनाथ मंदिर के दिग्विजय द्वार से कुछ दूरी पर ही स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा के आस-पास बौद्ध गुफाएं भी हैं।

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Somnath Temple के नीचे दबी मिली 3 मंजिला इमारत, PM Modi के आदेश पर हुई जांच | वनइंडिया हिंदी
एक साल तक जांच-पड़ताल चली

एक साल तक जांच-पड़ताल चली

बता दिया जाए कि, करीब एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक मीटिंग में भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को सोमनाथ मंदिर का पुरातत्व सर्वे करने के आदेश दिए थे। मोदी सोमनाथ के ट्रस्टी भी रहे हैं। उनके कहने पर पुरातत्व विभाग की एक साल तक यहां जांच-पड़ताल चली। फिर 32 पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार कर सोमनाथ ट्रस्ट को सौंपी गई। इसी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सोमनाथ मंदिर के नीचे भी तीन मंजिला इमारत है। चूंकि, यह कहा जाता रहा है कि, सोमनाथ मंदिर को इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा बार-बार ध्वस्त किया गया। ऐसे में शायद नए ढांचे की नींव पुराने मंदिर के उूपर ही रखी गई हो।

5 राजाओं ने कराया था जीर्णोद्धार

5 राजाओं ने कराया था जीर्णोद्धार

ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, यहां सबसे पहले एक मंदिर ईसा के पूर्व में अस्तित्व में था। फिर, दूसरी बार मंदिर का पुन-र्निर्माण 7वीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने कराया। उसके बाद 8वीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने यहां हमला किया। उसने मंदिर को नष्ट करने के लिए अपनी सेना लगा दी। जिसके बाद प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका पुन-र्निर्माण कराया। फिर ढांचे के अवशेषों पर मालवा के राजा राजा भोज और गुजरात के राजा भीमदेव ने चौथी बार पुन-र्निर्माण कराया। उसके बाद 1169 में फिर यहां मंदिर तैयार हुआ। जो कि पांचवी बार था। जिसे राजा कुमार पाल ने तैयार कराया था।

औरंगजेब ने भी ढहाया, पटेल ने बनवाया

औरंगजेब ने भी ढहाया, पटेल ने बनवाया

मुगल-काल में यहां औरंगजेब का हमला हुआ। 1706 में औरंगजेब ने इस मंदिर को ढहाया था।उसके बाद 20वीं सदी में जब जूनागढ़ रियासत आजाद भारत का हिस्सा बनीं, तो तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने यहां ध्यान दिया। पटेल ने मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया। जिसके उपरांत 1951 में यह मंदिर तैयार हुआ। फिर 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इस मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया। यानी वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के आदेश पर स्वतंत्रता मिलने के बाद कराया गया।

सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन सभी व्यवस्था

सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन सभी व्यवस्था

अब इस मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ही ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबंध किया था। बता दिया जाए कि, यह अब तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन 3 महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।

शिखर में 1250 कलश, सभी पर सोना

शिखर में 1250 कलश, सभी पर सोना

वर्ष 2019 में सोमनाथ ट्रस्ट ने मंदिर के 1250 कलशाें को सोने से मढ़ने का निर्णय लिया गया। इसका ऑर्डर एक निजी एजेंसी को दिया गया। बहरहाल, यहां कुल 1250 में से 80 बड़े कलश हैं। एक कलश औसतन 3 किलो वजन का है। सभी कलश स्वर्ण परत से जगमगा उठते हैं। पिछले 70 सालों में मंदिर के शिखर पर मौसम के कारण जो प्रभाव पड़ रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए भी जरूरी काम शुरू कराया गया।

155 फीट है इस मंदिर की ऊंचाई

155 फीट है इस मंदिर की ऊंचाई

सोमनाथ मंदिर की ऊंचाई लगभग 155 फीट है। आप जब जाएंगे, तो देखेंगे कि इस मंदिर के चारों ओर विशाल आंगन है। मंदिर का प्रवेश द्वार कलात्मक है। मंदिर तीन भागों में विभाजित है- नाट्यमंडप, जगमोहन और गर्भगृह। मंदिर के बाहर वल्लभभाई पटेल, रानी अहिल्याबाई आदि की मूर्तियां भी लगी हैं। समुद्र किनारे स्थित ये मंदिर बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।

मुफ्त भोजन कराने वाले तीर्थों में शामिल होगा सोमनाथ मंदिर, 17 बार लुटा, फिर भी कायम रही भव्यतामुफ्त भोजन कराने वाले तीर्थों में शामिल होगा सोमनाथ मंदिर, 17 बार लुटा, फिर भी कायम रही भव्यता

इस तरह पहुंचें दर्शन करने

इस तरह पहुंचें दर्शन करने

सोमनाथ मंदिर पहुंचने के लिए यदि हवाई मार्ग चुनते हैं तो सोमनाथ से 63 कि.मी. की दूरी पर दीव एयरपोर्ट है। यहां तक हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं। इसके बाद रेल या बस की मदद से सोमनाथ पहुंचा जा सकता है। सोमनाथ के लिए देश के लगभग सभी बड़े शहरों से ट्रेन मिल जाती हैं। वहीं, सड़क मार्ग से भी यह सभी बड़े शहरों से जुड़ा है। निजी गाड़ियों से भी सड़क मार्ग से सोमनाथ आसानी से पहुंच सकते हैं।

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English summary
World famous Somnath Temple: There Is Also A Three storey Building Under The Temple; thats the first among the twelve jyotirlinga shrines of lord Shiva
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