स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के 2 साल पूरे, 43 लाख लोग पहुंचे देखने, सबसे ज्यादा की कमाई, जानिए अब तक यहां और क्या क्या बना
अहमदाबाद। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन को 2 साल पूरे हो गए हैं। बीते 2 सालों में इसे 43 लाख पर्यटक देखने पहुंचे। 120 करोड़ रुपए कमाई की। पिछले साल यानी कि, 2019 में देश के टॉप-5 स्मारकों की तुलना में इसी ने सबसे ज्यादा कमाई की। इसे देखने वाले लोगों की बात करें तो 2019 में दिवाली की छुट्टियों में 2,91,640 पर्यटक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचे। यह संख्या 2018 के मुकाबले दोगुनी थी। सरदार पटेल ट्रस्ट के मुताबिक, बरसों से प्रतिष्ठित अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की तुलना में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लोगों ने ज्यादा देखा। यहां रोज पहुंचने वाले पर्यटकों का आंकड़ा इस साल मार्च में 15 हजार के पार हो गया था। वहीं, इस दौरान स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को देखने रोज करीब 10 हजार टूरिस्ट ही पहुंचे। अब 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आए। जहां उन्होंने कई टूरिज्म प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। आइए, यहां आज जानते हैं स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की खासियतें, इसके आसपास के पर्यटन स्थलों एवं अन्य नए प्रोजेक्ट्स के बारे में...
33 महीनों में बनी थी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति
सरदार पटेल की यह प्रतिमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट थी। जिसे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' नाम दिया गया। जिसकी ऊंचाई 182 मीटर रखी गई, जिसने इसे दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा का तमगा दिलाया। मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री वर्ष 2010 में इसे स्थापित करने का ऐलान किया था। फिर वर्ष 31 अक्टूबर 2013 में प्रतिमा के निर्माण का काम शुरू हुआ था। जो पांच साल बाद यानी कि 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर पूरा हुआ। प्रतिमा का उद्घाटन भी नरेंद्र मोदी ने ही किया। इसका काम कितना अहम था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पटेल की प्रतिमा के हावभाव तय करने के लिए 2 हजार से ज्यादा तस्वीरों पर रिसर्च की गई थी। इस प्रतिमा की डिजाइन विश्व प्रसिद्ध शिल्पकार राम सुतार ने तैयार की। जबकि, निर्माण लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने किया।
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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जुड़े 21 प्रोजेक्ट
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के तैयार होते रहने के साथ ही इससे जुड़े कुल 21 प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे। जिनमें से 17 अब तक पूरे हो चुके हैं। कल यानी कि 30 अक्टूबर 2020 के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इनमें से कई प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। मसलन, मोदी ने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' परिसर में 17 एकड़ में फैले 'आरोग्य वन' का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री ने जंगल सफारी का भी उद्घाटन किया। इसके अलावा 4 प्रकल्पों का शिलान्यास भी किया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास स्वास्थ्य वन, स्वास्थ्य कुटीर, एकता मॉल, चिल्ड्रन न्यूट्रीशन पार्क और एकता नर्सरी का उद्घाटन किया। इसके बाद उन्होंने ग्लो गार्डन, कैक्टस गार्डन, एकता क्रूज बोट व डायनामिक डैम लाइटिंग का उद्घाटन किया।
ये हैं अन्य प्रमुख प्रोजेक्ट जिनका लोकार्पण हुआ
जंगल सफारी: प्रधानमंत्री मेादी ने कल शाम 4 बजकर 20 मिनट पर अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट जंगल सफारी का भी उद्घाटन किया। इसके लिए मोदी ने फीता काटा। बता दें कि, जंगल सफारी का पूरा इलाका सात भागों में विभक्त है और इसका कुल क्षेत्रफल 375 एकड़ है। मोदी ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के साथ जंगल सफारी का मजा लिया। सभी ने जंगल सफारी में पशु-पक्षियों के साथ समय बिताया। मोदी जंगल सफारी पार्क में एक घंटा बीस मिनट तक रुके। बताया जा रहा है कि, आमजन के लिए टिकट की व्यवस्था जल्द होंगी।
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बटरफ्लाई गार्डन
बटरफ्लाई गार्डन: 'स्टैच्यू आॅफ यूनिटी' में लोग कुदरत की सुंदर और रंग-बिरंगी रचनाएं भी देख सकें, इसके लिए इस बटरफ्लाई गार्डन का निर्माण किया गया है। करीब 6 एकड़ में फैले इस विशाल गार्डन में 45 प्रजातियों की तितलियां हैं। मोदी ने बीते रोज तोते भी उड़ाए थे। इससे पिछले साल मोदी ने खुद तितलियां उड़ाईं।
विश्व वन: स्टैच्यू आॅफ यूनिटी के आसपास के अन्य दर्शनीय स्थलों में विश्व वन गजब का है। यहां सभी सात खंडों की औषधि वनस्पति, पौधे और वृक्ष हैं, जो अनेकता में एकता के भाव को साकार करते नजर आते हैं।
एकता नर्सरी: 1 लाख पौधे रोपे गए
एकता नर्सरी: स्टैच्यू आॅफ यूनिटी से कुछ दूरी पर यह नर्सरी विकसित की गई। इसका मकसद है कि जब भी पर्यटक यहां आएं तो वे नर्सरी से 'प्लांट ऑफ यूनिटी' के नाम से एक पौधा जरूर ले जाएं। शुरुआती चरण में यहां 1 लाख पौधे रोपे गए, जिनमें से 30 हजार पौधे बेचने के लिए तैयार हो चुके हैं।
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एकता ऑडिटोरियम: स्टैच्यू आॅफ यूनिटी से कुछ दूरी पर एकता ऑडिटोरियम भी बना है। यह करीब 1700 वर्ग मीटर में फैला एक कम्युनिटी हॉल है। यहां संगीत, नृत्य, नाटक, कार्यशाला जैसे सभी सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। आज भी यहां कार्यक्रम हुआ।
एकता क्रूज की शुरुआत
एकता क्रूज: प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही यहां एकता क्रूज का लुत्फ लिया। उन्होंने एकता क्रूज में बैठकर नर्मदा नदी का भ्रमण किया और प्रकृति की सुंदरता को देख अभिभूत हुए। नर्मदा का जल व उस पर पड़ रही सूरज की किरणें और पीछे पर्वत माला लोगों को आकर्षित करेंगी। राज्य में यह पहला अवसर है जब क्रूज सेवा शुरू की गई है और इसकी शुरुआत केवडिया से हुई है। इससे पहले गोवा में क्रूज सेवा थी।
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गुजरात में अब रिवर राफ्टिंग भी
रिवर राफ्टिंग: गुजरात में अब रिवर राफ्टिंग भी आप देख सकते हैं। ये एक एडवेंचर गेम है। यहां साहसिक खिलाड़ी कई तरह के एडवेंचर गेम का लुत्फ उठा सकेंगे। खासकर बच्चे जरूर इसका मजा लेंगे, जब कोरोना महामारी खत्म हो जाएगी तो यहां खूब भीड़ आया करेगी।
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ये हैं 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की खासियतें
- यह प्रतिमा दुनिया में सबसे उूंची है, जिसकी उूंचाई 597 फीट है। यह प्रतिमा 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटके और 220 किमी की स्पीड के तूफान का भी सामना कर सकती है।
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- सरदार पटेल की इस प्रतिमा के निर्माण में 85% तांबे का उपयोग किया गया था। जिसकी वजह से सैकड़ों साल तक इमसें जंग नहीं लग सकती। 2000 टन कांसे का भी उपयोग हुआ है।
12KM इलाके में बनाए गए तालाब से घिरी
- इसे बनवाने में 2.10 लाख क्यूबिक मीटर कन्क्रीट लगा था। 6 हजार 500 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18 हजार 500 टन सरियों का इस्तेमाल किया गया। इतना ही नहीं, यह 12 किमी इलाके में बनाए गए तालाब से घिरी है।
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गैलरी में एक साथ 200 लोग खड़े रह सकते हैं
- इस प्रतिमा की गैलरी में खड़े होकर एक बार में 40 लोग सरदार सरोवर डैम, विंध्य पर्वत के दर्शन कर सकते हैं। इसके भीतर जो दो हाई-स्पीड लिफ्ट लगाई गई हैं, वे पर्यटकों को सरदार पटेल की मूर्ति के सीने के हिस्से में बनी व्यूइंग गैलरी तक ले जाती हैं। इस गैलरी में एक साथ 200 लोग खड़े रह सकते हैं।
33 महीनों में तैयार की गई
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 33 महीनों में तैयार की गई, जो एक रिकॉर्ड है। जबकि, चीन के स्प्रिंग टेंपल में बुद्ध की प्रतिमा के निर्माण में 11 साल लगे थे। इस प्रतिमा ने बुद्ध की प्रतिमा का रिकॉर्ड भी ब्रेक कर दिया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की डिजाइन में इस बात का भी खास ध्यान रखा गया कि सरदार पटेल के हावभाव उसमें हू-ब-हू नजर आएं। इसके लिए पटेल की 2000 से ज्यादा फोटो पर रिसर्च की गई।
लागत 2989 करोड़ रुपए आई
- सरदार पटेल ट्रस्ट की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस प्रतिमा की लागत 2989 करोड़ रुपए आई थी। इस मूर्ति में 2.10 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट-कन्क्रीट इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा इसके लिए देशभर से लोहा मंगवाया गया था। किसानों ने भी धातु दी थीं।