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गुजरात: हिंसक जीवों का जोखिम उठा 2 किमी दूर मंदिर में पढ़ने जाते हैं बच्चे, स्कूल भी नहीं है

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Gujarat News, अमरेली। गुजरात के अमरेली जिले में राजुला के एक गांव में करीब 250 बच्चे जिस तरह स्कूल जाते हैं, वह किसी जानलेवा खतरे से कम नहीं है। कक्षा एक से 5वीं तक के ये बच्चे बीते 8 महीनों से दुर्गम रास्ते से हिंसक प्राणियों के जोखिम के बीच निकलते हैं। करीब दो किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उन्हें एक मंदिर में विद्या-उपार्जन करनी होती है।

200 से ज्यादा मासूम बच्चे जान हथेली पर ले मंदिर जाते हैं

200 से ज्यादा मासूम बच्चे जान हथेली पर ले मंदिर जाते हैं

सरकार के शिक्षा क्षेत्र में तमाम सुधार और बदलाव के दावों की पोल खोलता यह गांव है खारा। यहां कोई स्कूल बिल्डिंग भी नहीं है, ऐसे में बच्चे किसी स्कूल के बजाय दो किलोमीटर दूर स्थित एक मंदिर में जाकर अभ्यास करते हैं। इसी जगह पर गणेशोत्सव, गुणोत्सव जैसे कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। मगर, न कोई विधायक-सांसद और न ही डीएम को यहां के होनहारों की कोई फिक्र है। तभी तो दो सौ से ज्यादा मासूम बच्चे जान हथेली पर ले दूर विद्या-ग्रहण करने के लिए जाते हैं।

माता पिता को जाना पड़ता है साथ

माता पिता को जाना पड़ता है साथ

ग्रामीणों का कहना है कि उनके यहां बहुत पहले एक स्कूल था, जिसकी बिल्डिंग जर्जर हो गई थी। जिसके चलते उसे तोड़ दिया गया था। मगर, अभी तक कोई ऐसा स्कूल परिसर गांव में नहीं है जहां बच्चे आराम से बैठकर पढ़ सकें। बच्चों के लिए यहां से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर एक मंदिर है, जहां वे जाते हैं। क्योंकि, इस इलाके में हिंसक प्राणी घूमते रहते हैं, तो कुछ बच्चों के अभिभावक उनके साथ पैदल जाते हैं।

डीईओ बोले- बनेगा स्कूल

डीईओ बोले- बनेगा स्कूल

पूछे जाने पर डीईओ सी. एम. जादव ने कहा कि उनकी ओर से स्कूल बनवाने के लिए प्रपोजल दिया हुआ है। कुछ समय बाद सभी बच्चों को गांव में ही पढ़ने दिया जाएगा।'' अब सवाल यह उठता है कि जब स्कूल की बिल्डिंग भी नहीं बनी है, तो बच्चों को पढ़ाएंगे कहां?

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मगर, किसी के पास नहीं जवाब

मगर, किसी के पास नहीं जवाब

काम शुरू होने के बाद भी बिल्डिंग बनने में कम से कम 6 महीने तो लगेंगे ही, ऐसे में बच्चे इसी तरह जोखिम के बीच विद्या-उपार्जन करते रहेंगे? इसका जवाब शायद यहां किसी अधिकारी के पास नहीं है।

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English summary
In This Gujarat village, children going to study at risk of violent animals
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