दुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर INS विराट का विसर्जन आज, सभी सरकारी औपचारिकताएं पूरी की गईं
भावनगर। दुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर में से एक 'आईएनएस विराट' का आज समुद्र में विसर्जन हो रहा है। इस विमानवाहक पोत को नीलामी में खरीदने वाले व्यापारी मुकेश पटेल ने बताया कि, अलंग के गहरे समुद्री क्षेत्र में आईएनएस विराट के विसर्जन का 28 सितंबर को काम शुरू किया गया है। विसर्जन से पहले कस्टम, गुजरात मैरिटाइम बोर्ड (जीएमबी), गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) और एईआरबी सहित प्राधिकरण की जरूरी औपचारिकताओं को पूरा किया गया था।
1944 में बने जंगी जहाज का आज विसर्जन हुआ
इंडियन नेवी का यह जंगी पोत वर्ष 2017 में इंडियन नेवी से रिटायर हुआ था। जिसमें 'आईएनएस विराट' ने करीब 30 साल तक सेवाएं दीं। उससे पहले यह ब्रिटिश नेवी का भी हिस्सा रहा था। वर्ष 2017 में इसे रिटायर करने के बाद कोच्चि में सबसे पहले इसके इंजन, जनरेटर निकाले गए थे। बाद में इसे मुंबई पहुंचाया गया। जहां इसकी नीलामी के लिए बोली लगाई गई। उसके बाद इसे इसका अंतिम सफर पूरा कर भावनगर लाया गया। अब भावनगर स्थित अलंग शिपयार्ड में इसे तोड़कर कबाड़ में बदला जा रहा है।
यह दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर था
करीब 76 साल पुराने आईएनएस विराट को विसर्जित होते देख इस पर तैनात रहे जांबाजों ने कहा- अगर हमारा यह पोत म्यूजियम में तब्दील होता तो इतिहास जिंदा रहता। उनका कहना सही भी है, क्योंकि इस विमान वाहक पोत से भारतीय नाैसेना की कई यादें जुड़ी हैं। इसमें ऐसी कई खासियतें भी थीं, जिनके रहते हमारी समुद्री सीमा दुश्मन से सुरक्षित रही। यह दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर भी है, जिसके नाम पर सबसे ज्यादा नेवल ऑपरेशन्स में शामिल होने का रिकॉर्ड है।
भारतीय और ब्रिटिश नेवी, दोनों में सेवा दी
आईएनएस विराट दुनिया का इकलौता ऐसा पोत माना जाता है, जो भारतीय और ब्रिटिश नेवी, दोनों सेनाओं का हिस्सा रह चुका है। यह भारत का दूसरा एयरक्राफ्ट करियर था। इससे पहले इंडियन नेवी में आईएनएस विक्रांत था। विक्रांत रिटायर हो गया। जिसके बाद आईएनएस विराट भी रिटायर हो गया। बता दें कि, साल 2017 में इसे रिटायर करने के बाद कोच्चि में सबसे पहले इसके इंजन, जनरेटर निकाले गए थे। जिसके बाद आज का दिन है, जब काफी सारे लोग इसके विसर्जन के अंतिम गवाह बने।
चलता-फिरता शहर था यह
आईएनएस विराट करीबन 226 मीटर लंबा है। इसकी चौड़ाई 49 मीटर है। आमजन के लिए यह एक प्रकार से चलता-फिरता शहर था। जिसमें लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं भी थीं।
VIDEO: सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर INS विराट ने पूरा किया अपना आखिरी सफर, अब बनेगा कबाड़
'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य'
भारतीय नौसेना में सेवा दिए जाने के वक्त इस विमान वाहक पोत का ध्येय वाक्य 'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य' था। जिसका मतलब होता है- 'जिसका समंदर पर कब्जा है, वही सबसे बलवान है।'