ये हैं गुजरात के जिग्नेश गांधी, लॉकडाउन में 12 हजार भूखों को हर दिन खिला रहे 2 वक्त खाना
सूरत। इन दिनों राह में बैठे भिखारियों, गरीबों और मलिन बस्ती लोगों को दो वक्त की रोटी जुटा पाना मुश्किल हो गया है। ऐसे वक्त में कुछ एनजीओ तथा नेकदिल लोग दूसरों की मदद कर रहे हैं। सूरत के व्यवसाई जिग्नेश गांधी ऐसे ही नेकदिल व्यक्ति हैं। उनका हर दिन, सुबह 6 बजे से शुरू हो जाता है। जब से देशव्यापी लॉकडाउन घोषित हुआ (पिछले 46 दिन से), वह 12,000 लोगों को दो वक़्त का भोजन मुहैया करा रहे हैं।
वह टेक्सटाइल मशीनरी के कारोबारी रहे हैं, किंतु सोशल वर्कर हैं और इन दिनों तो कोरोना वॉरियर साबित हुए हैं। वह सूरत की स्थानीय मंडी से 150 किलो से अधिक सब्ज़ियां खरीदते हैं। उसके बाद गोदाम जाते हैं, जहां से 500 किलोग्राम चावल-दाल लाते हैं। फिर सभी सामान वो उन 6 जगहों पर पहुंचाते हैं, जहां भोजन तैयार होता है। वहीं, ये भी तय होता है कि आज भोजन में क्या बनेगा।
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जिग्नेश गांधी अभी 45 वर्ष के हैं। वह कहते हैं- 'हम जानते हैं कि ख़ाली पेट सोना कैसा होता है, इसलिए लोगों को भूख से परेशान होते नहीं देख सकते। अभी भूखों का पेट भर रहे हैं। मगर, यह काम पहली बार नहीं कर रहे। अपने परिवार की गुज़र-बसर के लिए, हमने 16 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर काम करना शुरू कर दिया था।'
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जिग्नेश के मुताबिक, रोज हजारों लोगों का पेट भरने के लिए वह अभी तक 36 लाख रुपए ख़र्च कर चुके हैं। बाकी का पैसा उनकी अपनी खड़ी की गई ग़ैर-मुनाफ़ा संस्था अलायंस क्लब ऑफ सूरत 'होप' से आता है। उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार या किसी निजी इकाई से कोई मदद नहीं मिली है।
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