मासूम बच्ची से मिले 3 माह बीत गए, कोरोना वार्ड में तैनात ये डॉक्टर मां मिलने को तरस रही
अहमदाबाद। कोरोना महामारी से लोगों की जान बचाने में दिन-रात जुटे डॉक्टर्स एवं मेडिकल स्टाफ की कई अनसुनी कहानियां रोज सुनने को मिलती हैं। वे अपना दुख-दर्द भूलकर बस फर्ज में तल्लीन हैं। यहां की महिला डॉक्टर क्रति सिंघल की ऐसी ही दुविधा है। वह पिछले 3 महीनों से अपनी छह माह की मासूम से दूर है और उसे देखने के लिए भी नहीं जा पाई है। उसे दूध पिलाने को तरसती है।
3 महीनों से अपनी छह माह की मासूम से दूर हूं
क्रति कहती हैं- ''नवंबर में मैंने बच्ची को जन्म दिया था। उसके एक महीने बाद ही ड्यूटी ज्वॉइन कर ली। मार्च-2020 में टर्म खत्म होने वाली थी, लेकिन तभी कोरोना महामारी फैलने लगी। इस वजह से मुझे कोविड-19 वार्ड में तैनात कर दिया गया। तब से बच्ची से मिलने नहीं जा सकी हूं। मैं एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट में रेसिडेंट डॉक्टर के रूप में सेवा देती थी, लेकिन फिलहाल कोरोना के मरीजों के लिहाज से आईसीयू में ड्यूटी सौंपी गई है।''
जो कर रही हूं, यह राष्ट्रसेवा का ही काम है
क्रति बोलीं- ''जो कर रही हूं, यह राष्ट्रसेवा का ही काम है। मुझे इसके लिए खुशी है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि मैं अभी मां होने का फर्ज नहीं निभा पा रही। मेरी सास की उम्र काफी ज्यादा होने के बावजूद भी वह मेरी बेटी की देखभाल कर रही है।मुझे अपनी बेटी और परिवार की बहुत याद आती है। किंतु, इधर इन मरीजों का उपचार भी ज्यादा जरूरी है। आईसीयू में मरीजों की स्थिति काफी नाजुक होती है।''
बच्ची कहेगी- मां सच्ची कोरोना वॉरियर थी
''कोरोना का संक्रमण न फैले इसलिए हमें ज्यादा सावधानी रखनी पड़ती है। पति बात करते हैं, तो वीडियो कॉल के जरिए लाडली का चेहरा दिखा देते हैं। उसे देखकर मुझे तसल्ली होती है। मैं और ज्यादा अच्छे तरीके से काम करने लगती हूं। जब मेरी बेटी को यह बात समझ आएगी तो वह गर्व से कह पाएगी की मेरी मां सच्ची कोरोना वॉरियर थी।''
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