देश के पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर में 1 माह में 477296 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, 11 माह का रिकॉर्ड टूटा
पाटण। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ महादेव मंदिर में पिछले महीने 477296 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। यह संख्या पिछले 11 महीनों में सर्वाधिक रही। यह जानकारी सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी सचिव प्रवीण के. लेहरी और महा प्रबंधक विजयसिंह चावड़ा द्वारा दी गई। बताया गया कि, फरवरी में 477296 श्रद्धालुओं ने सोमनाथ मंदिर के दर्शन किए। 2020 के मार्च महीने से कोरोना महामारी का संक्रमण फैलने की वजह से मंदिर बंद कर दिया गया था। हालांकि, कुछ माह बाद फिर से खोल दिया गया।
कोरोना-काल के बाद अब भीड़ बढ़ी
सोमनाथ ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया कि, मंदिर प्रबंधन द्वारा स्वास्थ्य संबंधी सतर्कता बरती गईं और कोरोना गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। अच्छी व्यवस्था के कारण पिछले नवंबर महीने से सोमनाथ महादेव मंदिर में दर्शनार्थी भक्तों की संख्या बढ़ते चली गई। हालांकि, इससे पहले 19 मार्च से 7 जून तक मंदिर में दर्शन करने आने वालों के लिए द्वार बंद रहे थे। इस अवधि में लोगों को ऑनलाइन दर्शन कराए गए। इसके अलावा सोशल मीडिया के जरिए भी व्यवस्था कराई गई।
बहुत भव्य है सोमनाथ महादेव मंदिर
सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह के निकट स्थित है। इस मंदिर की गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में मान्यता है कि सोमनाथ के शिवलिंग की स्थापना खुद चंद्रमा ने की थी। चंद्र के द्वारा स्थापना की जाने की वजह से इस शिवलिंग का नाम सोमनाथ पड़ा। इस मंदिर की भव्यता ही कुछ ऐसी है कि यहां लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। जानिए इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी खास बातें...
इस्लामिक आक्रांताओं ने 17 बार तोड़ा-लूटा
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया। मगर, टूटने के बाद हिंदू सम्राटों ने हर बार इसका पुनर्निर्माण कराया गया। वर्ष 1024 में महमूद गजनबी ने इसे तहस-नहस कर दिया था। मूर्ति को तोड़ने से लेकर यहां पर चढ़े सोने-चांदी तक के सभी आभूषणों को लूटा था। शिवलिंग को भी तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन असफल रहा। 1026 में में हीरे-जवाहरातों को लूटकर गजनबी अपने वतन वापस चला गया था। उसके बाद यहां प्रतिष्ठित शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया।
आजादी के बाद पुरातत्व विभाग ने स्थापित किया ज्योतिर्लिंग
वर्ष 1940, 19 अप्रैल को सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उच्छंगराय नवल शंकर ने यहां उत्खनन कराया था। जिसके बाद भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्माशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित कराया। सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को मंदिर की आधार शिला रखी तथा 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया।
वर्ष 1962 में बना नवीन सोमनाथ मंदिर
नवीन सोमनाथ मंदिर वर्ष 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया। उसके बाद 1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने स्वर्गीय पति की स्मृति में उनके नाम से दिग्विजय द्वार बनवाया। अब इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है। सोमनाथ मंदिर निर्माण में सरदार पटेल का भी बड़ा योगदान रहा। इस मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है।
3 नदियों हिरण, कपिला-सरस्वती का महासंगम
सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबंध किया था। यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।
शिखर में 1250 कलश, जिन्हें सोने से मढ़ा गया
वर्ष 2019 में सोमनाथ ट्रस्ट ने मंदिर के 1250 कलशाें को सोने से मढ़ने का निर्णय लिया। यह काम का ऑर्डर एक निजी एजेंसी को दिया गया। बता दें कि, कुल 1250 में से 80 बड़े कलश हैं। एक कलश औसतन 3 किलो वजन का है। सभी कलश इस साल के अंत तक स्वर्ण परत से जगमगा उठेंगे। पिछले 70 सालों में मंदिर के शिखर पर मौसम के कारण जो प्रभाव पड़ रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए भी जरूरी काम शुरू कराया गया।
155 फीट है सोमनाथ मंदिर की ऊंचाई
सोमनाथ मंदिर की ऊंचाई लगभग 155 फीट है। इस मंदिर के चारों ओर विशाल आंगन है। मंदिर का प्रवेश द्वार कलात्मक है। मंदिर तीन भागों में विभाजित है- नाट्यमंडप, जगमोहन और गर्भगृह। मंदिर के बाहर वल्लभभाई पटेल, रानी अहिल्याबाई आदि की मूर्तियां भी लगी हैं। समुद्र किनारे स्थित ये मंदिर बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।
इस
तरह
पहुंच
सकते
हैं
दर्शन
करने
सोमनाथ
मंदिर
पहुंचने
के
लिए
यदि
हवाई
मार्ग
चुनते
हैं
तो
सोमनाथ
से
63
कि.मी.
की
दूरी
पर
दीव
एयरपोर्ट
है।
यहां
तक
हवाई
मार्ग
से
पहुंच
सकते
हैं।
इसके
बाद
रेल
या
बस
की
मदद
से
सोमनाथ
पहुंचा
जा
सकता
है।
सोमनाथ
के
लिए
देश
के
लगभग
सभी
बड़े
शहरों
से
ट्रेन
मिल
जाती
हैं।
वहीं,
सड़क
मार्ग
से
भी
यह
सभी
बड़े
शहरों
से
जुड़ा
है।
निजी
गाड़ियों
से
भी
सड़क
मार्ग
से
सोमनाथ
आसानी
से
पहुंच
सकते
हैं।
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि संग्रह अभियान का आज आखिरी दिन, सूरत से मिले 40 करोड़ से ज्यादा
इन
मंदिरों
में
भी
मुफ्त
भोजन
की
व्यवस्था
सोमनाथ
मंदिर
के
साथ
ही
अमृतसर
के
स्वर्ण
मंदिर,
तिरुपति
के
तिरुपति
बालाजी
मंदिर,
शिरडी
के
साईंबाबा
मंदिर
के
अलावा
सताधार,
विरपुर,
शालंगपुर,
संतराम
मंदिर,
डोगरेजी
महाराज
अन्न
क्षेत्र
सहित
अनेक
स्थानों
पर
निशुल्क
भोजन
की
व्यवस्था
हैं।