नवरात्रि में अंबाजी धाम पर इस साल नहीं निकलेगी रथयात्रा, 52 वर्षों में पहली बार होने जा रहा ऐसा
गांधीनगर। दुनियाभर के हिंदुओं का आस्था केंद्र रहे गुजरात के पुराने हवड़िया चकला क्षेत्र में स्थित अंबाजी मंदिर से इस साल नवरात्रि में रथयात्रा नहीं निकलेगी। मंदिर प्रशासन द्वारा शहर में कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इस मंदिर के बनने के 52 साल बीतने पर पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब रथयात्रा नहीं आयोजित की जाएगी। पिछले 52 वर्षों से, नवरात्रि के दौरान इस मंदिर से एक रथयात्रा निकाली जाती थी जो विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजरती थी।
यहां
इस
साल
रथयात्रा
नहीं
निकलेगी
मां
अम्बाजी
का
यह
मंदिर
गुजरात-राजस्थान
की
सीमा
के
निकट
स्थित
है।
माना
जाता
है
कि,
यहां
लगभग
1200
साल
से
प्रतिमा
पूजी
जाती
रही
है।
नए
मंदिर
के
जीर्णोद्धार
का
काम
1975
से
शुरू
हुआ
था
और
तब
से
अब
तक
जारी
है।
श्वेत
संगमरमर
से
निर्मित
यह
मंदिर
बेहद
भव्य
है।
मंदिर
का
शिखर
103
फुट
ऊंचा
है।
शिखर
पर
358
स्वर्ण
कलश
सुसज्जित
हैं।
इतना
ही
नहीं,
यहां
मां
का
एक
श्रीयंत्र
भी
स्थापित
है।
इस
श्रीयंत्र
को
कुछ
इस
प्रकार
सजाया
जाता
है
कि
देखने
वाले
को
लगे
कि
मां
अम्बे
यहां
साक्षात
विराजी
हैं।
मां
अम्बा-भवानी
के
शक्तिपीठों
में
से
एक
अम्बाजी
के
बारे
में
कहा
जाता
है
कि
यहां
पर
भगवान
श्रीकृष्ण
का
मुंडन
संस्कार
संपन्न
हुआ
था।
वहीं,
कुछ
शास्त्रों
में
यह
भी
उल्लेख
है
कि
भगवान
राम
भी
शक्ति
की
उपासना
के
लिए
यहां
आ
चुके
हैं।
वर्तमान
में
मां
अम्बा-भवानी
के
शक्तिपीठों
में
से
एक
इस
मंदिर
के
प्रति
मां
के
भक्तों
में
अपार
श्रद्धा
है।
शक्ति
के
उपासकों
के
लिए
यह
मंदिर
बहुत
महत्व
रखता
है।
इस
मंदिर
से
लगभग
3
किलोमीटर
की
दूरी
पर
गब्बर
नामक
पहाड़
है।
इस
पहाड़
पर
भी
देवी
मां
का
प्राचीन
मंदिर
स्थापित
है।
300 साल में पहली बार रद्द हुआ अंबाजी शक्तिपीठ का लोकमेला; फिर भी पहले दिन 6.5 लाख लोगों ने किए दर्शन
पत्थर
पर
देवी
मां
के
पदचिह्न
बने
हैं
पहाड़
पर
स्थित
देवी
मां
के
प्राचीन
मंदिर
में
एक
पत्थर
पर
मां
के
पदचिह्न
बने
हैं।
पदचिह्नों
के
साथ-साथ
मां
के
रथचिह्न
भी
बने
हैं।
कोरोना
महामारी
फैलने
से
पहले
तक
अम्बाजी
के
दर्शन
के
उपरान्त
श्रद्धालु
गब्बर
के
दर
जरूर
आया
करते
थे।
जहां
हर
साल
भाद्रपदी
पूर्णिमा
के
मौके
पर
बड़ी
संख्या
में
श्रद्धालु
जमा
होते
थे।
भाद्रपदी
पूर्णिमा
को
इस
मंदिर
में
एकत्रित
होने
वाले
श्रद्धालु
पास
में
ही
स्थित
गब्बरगढ़
नामक
पर्वत
श्रृंखला
पर
भी
जाते
हैं।