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80 साल बिना कुछ खाये-पिए जीवित रहे चुनरी वाले बाबा का निधन, 11 की उम्र में त्यागा था अन्न-जल

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पालनपुर। गुजरात में पालनपुर अंबामाताजी मंदिर के पास गब्‍बर पर्वत पर आश्रम बनाकर रह रहे चुनरी वाले बाबा का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनका नाम प्रह्लाद जानी था। वह मूलत: उत्तर प्रदेश के अयोध्या के थे, जहां 13 अगस्त 1929 को उनका जन्म हुआ था। प्रह्लाद बाबा के बारे में यह चर्चित है कि वे करीब 80 साल से बिना कुछ खाए-पिए जीवित रहे। 11 वर्ष की उम्र से उन्होंने अन्न जल त्याग रखा था।

अयोध्या से ताल्लुक रखते थे प्रह्लाद जानी

अयोध्या से ताल्लुक रखते थे प्रह्लाद जानी

प्रह्लाद जानी के चर्चे सुनकर कुछ साल पहले डीआरडीओ के साइंटिस्ट्स सचाई का पता लगाने उनके पास पहुंचे थे। जहां साइंटिस्ट्स ने इस बाबा पर रिसर्च किया कि कैसे इतने साल कोई बिना खाये पिये जिंदा रह सकता है। डीआरडीओ के रिसर्च के पीछे का तर्क था कि किसी स्पेस मिशन में स्पेसक्राफ्ट के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाने पीने की व्यवस्था में ज्यादा वजन रहता है। अगर इस बाबा के डीएनए किसी में इम्प्लांट हों, तो ये एक बड़ी कामयाबी होगी। इसके लिए बाबा पर कैमरों से नजर भी रखी गई थी।

बिन खाने कैसे जिए, यह वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा सके

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कहा जाता है कि, प्रह्लाद जानी उर्फ चुनरी वाले बाबा के खाने-पीने और उत्सर्जन की क्रिया से पूर्ण मुक्त रहने के दावे का कई बार मेडिकल और साइंटिफिक टेस्ट भी किया जा चुका था। उनका टेस्ट करने वाले जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर शाह ने कहा कि, उनका शारीरिक ट्रांसफार्मेशन हो चुका था। इतना ही नहीं, वह बाबा कई गंभीर बीमारियों का भी कारगर इलाज करने का दावा करते थे।

10 साल की उम्र में घर, 11 की उम्र में अन्न जल त्यागा

10 साल की उम्र में घर, 11 की उम्र में अन्न जल त्यागा

प्रह्लाद जानी का दावा था कि वह एड्स, एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज सिर्फ एक फल देकर कर सकते हैं। यही नहीं, वह निसंतान व्यक्तियों का भी इलाज करने की बातें कहते थे। उनके करीबी बताते हैं कि, प्रह्लाद जानी ने महज 10 वर्ष की उम्र में ही आध्यात्मिक जीवन के लिए अपना घर-बाड़ छोड़ दिया था। एक साल तक वह माता अंबे की भक्ति में डूबे रहे, जिसके बाद वह साड़ी, सिंदूर और नथ पहनने लगे।

महिलाओं वाला श्रृंगार ही करते थे चुनरी वाले बाबा

महिलाओं वाला श्रृंगार ही करते थे चुनरी वाले बाबा

खास बात यह भी है कि, प्रह्लाद जानी पूरी तरह से महिलाओं की तरह श्रृंगार करते थे। इसलिए, कुछ अनुयायी उन्हें चुंदडी वाली माताजी भी कहते हैं। वह पिछले 50 वर्ष से अहमदाबाद से 180 किलोमीटर दूर बनासकांठा की पहाड़ी पर अंबाजी मंदिर की गुफा के पास रह रहे थे।

मां को याद करते वर्दी में हाथ डालकर खुद को दुलारता है बच्चा, देखकर हो जाएंगे रुआंसेमां को याद करते वर्दी में हाथ डालकर खुद को दुलारता है बच्चा, देखकर हो जाएंगे रुआंसे

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English summary
Gujarat: Prahlad Jani, Chunri vara mataji passed away at age of 91, know interesting story about his life
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