दुनिया के सबसे पुराने जहाजों में से एक UK का 'मार्को पोलो' भी बनेगा कबाड़, नीलामी के लिए गुजरात रवाना
"Marco Polo", One Of The World's Oldest Cruise Ship, भावनगर। कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्था हिल गई। जिसका बड़ा असर टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ा। कुछ ही दिन पहले दुनिया के पहले 'क्रिप्टो' क्रूज शिप सतोषी की नीलामी की खबर आई थी, अब दुनिया के सबसे पुराने क्रूज शिप में से एक 55 साल पुराना 'मार्को पोलो' भी कबाड़ में तब्दील होने वाला है। इसके रखरखाव और इंश्योरेंस के भारी भरकम खर्च के चलते कंपनी इसे बेच रही है। यह नीलामी के लिए गुजरात रवाना कर दिया गया है। जनवरी के अंत तक यह गुजरात के समुद्री तट को छुएगा। यहां इसे खरीदने के लिए कई कंपनियों में होड़ लगी हुई है। इससे पहले भी कई क्रूज शिप गुजरात के अलंग शिपयार्ड पहुंच चुके हैं।
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5 क्रूज शिप गुजरात में कबाड़ बनने जा रहे
समुद्र में क्रूज शिप का इस्तेमाल शानो-शौकत भरी जिंदगी जीने के लिए किया जाता रहा है। 'मार्को पोलो' ऐसा ही एक क्रूज शिप है, जो कि ब्रिटिश कंपनी के पास है। बताया जा रहा है कि, गुजरात में इसके जैसे 4 और भी लग्जीरियस क्रूज कबाड़ में तब्दील होने जा रहे हैं। हाल ही में 'ओशियन ड्रीम' को समुद्र तट पर रखा गया है। इसी जनवरी महीने के आखिर में 'ग्रांड सेलिब्रेशन' और फरवरी के शुरुआत में 'सतोषी' लग्जीरियस क्रूज शिप भी बिकेंगे।
यह लग्जीरियस क्रूज शिप भी पहुंच रहा यहां
इसी साल की शुरुआत में ब्रिटेन के जिब्राल्टर से 'सतोषी' शिप पानी के रास्ते गुजरात की ओर रवाना हुआ था। यह दुनिया का पहला लग्जीरियस क्रूज है, जिसमें करीब 2000 लोग सवार हो सकते हैं। इस लग्जीरियस क्रूज शिप के मालिक चाड एलवार्कतोव्स्की हैं। एलवार्कतोव्स्की की योजना इसे एक तैरती हुई सिटी बनाने की थी। जिसके लिए उन्होंने 777 आलीशान कैबिनों को किराए पर चलाने की योजना बनाई, हालांकि, लोगों की बीमा राशि के चलते उनका सपना धरा रह गया। अंततः उन्होंने इसे बेचने का निर्णय लिया।
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यह क्रिप्टो करंसी से चलने वाला पहला क्रूज
'सतोषी' शिप को 'क्रिप्टो' क्रूज कहे जाने के पीछे वजह यह है कि, इसकी यात्रा खर्च का पूरा लेन-देन क्रिप्टो करंसी से ही होता था। ऐसे में यह क्रिप्टो करंसी से चलने वाला दुनिया का पहला क्रूज था। हालांकि, इस ऑस्ट्रेलियन क्रूज का नाम पहले पैसिफिक डॉन था। इसके मालिक ने इसकी नीलामी भारत में कराने का निर्णय लिया है, जिसके चलते इसे भारत पहुंचाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, यहां खरीदने के लिए कई कंपनियों में होड़ लगी हुई है। इसके जनवरी महीने के अंत तक गुजरात पहुंचने की संभावना है।