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RSS ने बांटा राशन, वृद्धा ने लेने से किया मना, बोली- हाथ पांव सलामत हैं मेहनत की रोटी ही खाऊंगी

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राजकोट। कोरोना की महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगे लॉकडाउन में गरीबों-मजदूरों को कई संस्थाएं खाद्य वितरित करा रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस) द्वारा भी कई राज्यों में खाद्य राशन बांटा जा रहा है। यहां राजकोट में गीरगढ्डा तहसील के 42 गांवों लगभग 400 परिवारों को राशन बांटा ​गया। इसी दौरान एक वृद्धा के स्वाभिमान से जुड़ा वाकया सामने आया। सेवारत लोगों ने जब उसे राशन देना चाहा तो वृद्धा ने लेने से मना कर दिया।

'यह राशन किसी जरूरतमंद को दे दीजिए'

'यह राशन किसी जरूरतमंद को दे दीजिए'

80 साल की वृद्धा ने कहा- 'अभी मेरे हाथ-पांव सलामत हैं। तब तक ऐसा है, तब तक मेहनत की रोटी ही खाऊँगी।' झोंपड़ी में रहने के बावजूद वह वृद्धा आगे बोली कि मेरे पास भगवान का दिया सबकुछ है। आप यह राशन किसी अन्य जरूरतमंद को दे दीजिए।'
वृद्धा की यह बात सुनकर सेवारत लोग भावुक हो गए। कुछ की तो आंखों में आंसू भी निकल आए। उन्होंने वृद्धा की नहीं सुनी और राशन का कट्टा देकर ही लौटे।

वह दान में दिया खाद्य नहीं लेना चाहती थी

वह दान में दिया खाद्य नहीं लेना चाहती थी

संवाददाता ने बताया कि, यह मामला जूना उगला गांव है। जहां गांव के बाहर स्थित झोंपड़ी में टूटी हुई खटिया पर वो वृद्धा बैठी थी। सेवारत लोगों ने उसे भी राशन का कट्टा देने का प्रयास किया, तब उसने लेने से इनकार कर दिया था। कई लोगों ने उस वृद्धा को खुद्दार कहा, क्योंकि माली हालत होने के बावजूद वह दान में दिया खाद्य नहीं लेना चाहती थी।

पेड़ के नीचे हताश बैठी वृद्धा बोली 'भूखी हूं', तो खाना देकर कोरोना वॉरियर ने पहुंचाया 1 माह का राशनपेड़ के नीचे हताश बैठी वृद्धा बोली 'भूखी हूं', तो खाना देकर कोरोना वॉरियर ने पहुंचाया 1 माह का राशन

अपनी मेहनत का किया अच्छा लगता है

अपनी मेहनत का किया अच्छा लगता है

इस वाकये से सीख ​भी मिलती है कि, जहां लोग मुफ्त का राशन बंटने की सूचना मिलते ही नंगे पांव दौड़ पड़ते हैं, वहीं 80 साल की बुढ़िया..जो कि झोंपड़ी में रहती है। वो राशन लेने को तैयार नहीं थी, क्योंकि उसे अपनी मेहनत का किया अच्छा लगता है।

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English summary
a old woman lives in hut, Refused to get free ration, those distribute by RSS workers
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