'कर्मचारियों को न तो नौकरी से निकालें और न ही वेतन काटें', सरकार का प्राइवेट सेक्टर को आदेश
गांधीनगर। कोरोना वायरस की वजह से उपजे संकट से गरीबों-मजदूरों के साथ ही व्यापार, उद्योग और रोजगारों पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। ऐसी विपरीत परिस्थिति में राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र में कार्यरत कामगारों और कर्मचारियों के हित में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के सचिव अश्विनी कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि, राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, श्रमिकों को भी उनके मालिकों, उद्योग-व्यापार संचालकों द्वारा लॉकडाउन के दौरान नौकरी से न निकाला जाए और न ही उनका वेतन काटा जाए। आमतौर पर प्राइवेट सेक्टर में यह समस्या ज्यादा सामने आती है। राज्य में आर्थिक मंदी के दौर में भी ऐसा हो चुका है।
राज्य सरकार ने लॉकडाउन को जरूरी बताते हुए, यह भी कहा कि गुजरात सरकार, केंद्र के साथ कदमताल करते हुए हालात दुरुस्त करने की लगातार कोशिश कर रही है। बहरहाल, यहां लॉकडाउन की स्थिति में आर्थिक मुश्किलों से बेसहारा, दिव्यांग एवं विधवा महिलाओं के अलावा राज्य सरकार की समाज कल्याण योजनाओं के तहत मासिक पेंशन प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को उबारने के लिए मुख्यमंत्री अप्रैल महीने की पेंशन एडवांस में देने का ऐलान भी कर चुके हैं। सरकार के फैसले के अनुसार, राज्य में ऐसे 13.66 लाख लाभार्थियों की अप्रैल महीने की पेंशन की कुल 221 करोड़ रुपए की रकम प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए सीधे उनके बैंक खातों में जमा करा दी गई है।
वहीं, मुख्यमंत्री के सचिव ने प्राइवेट सेक्टर से जुड़े दिशा-निर्देशों के बारे में बताया कि, सरकार इस पर जोर दे रही है कि राज्य में कामगारों या कर्मचारियों को उनकी औद्योगिक इकाइयों, फैक्ट्री, दुकानदार या पंजीकृत ठेकेदार लॉकडाउन के दौरान नौकरी से न निकालें। ऐसे कर्मचारियों का वेतन भी न काटा जाए।''