बुलेट ट्रेन के लिए भू-अधिग्रहण: नवसारी के 28 गांवों ने मुआवजा कम बताकर सरकार का ऑफर ठुकराया
नवसारी। मुंबई-अहमदाबाद के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट अभी अधर में ही अटका हुआ है। अभी तो ट्रेन के रूट के लिए भू-अधिग्रहण प्रक्रिया ही पूरी नहीं हुई। इसकी बड़ी वजह है किसानों का अपनी जमीनें देने से इनकार करना। जमीन का जो मुआवजा मिल रहा है, उससे लोग संतुष्ट नहीं हैं। कुछ गांवों ने यह भी साफ कह दिया है कि जमीन अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा। अभी नवसारी जिले के 28 गांवों ने मुआवजे को लेकर सरकार का ऑफर ठुकरा दिया है। जिसके चलते यह मुद्दा मंत्रालय की बैठक में उठा।
यहां 28 गांवों ने किया जमीन देने से मना
बता दें कि, हाल ही में सरकार की ओर से सरकार जंत्री आधारित मुआवजा देने की घोषणा की गई थी। जिसका विरोध करते हुए, 28 गांवों के लोगों ने वर्तमान बाजार की कीमत के अनुसार ही मुआवजे की मांग की। विरोध को देखते हुए गुजरात की राजधानी गांधीनगर में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुआवजे की समस्या पर चर्चा की गई। तब एक अधिकारी ने कहा कि, राज्य के नवसारी जिले में बुलेट ट्रेन के असरग्रस्त 28 गांवों में जमीन के मुआवजे की समस्या का अभी भी निराकरण नहीं हो सका है। लिहाजा बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर असर पड़ रहा है।
भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए अब तक 80% जमीन अधिग्रहण, हो सकती है अभी 5 साल की देरी
भूमि अधिग्रहण पर ही अटकी रेल
जिस तरीके से जमीन अधिग्रहण में विलंब हो रहा है, उससे ऐसा लगता है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के कंप्लीट होने में 5 वर्ष और लग जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि, गुजरात में अब तक करीब 82 फीसदी और महाराष्ट्र में करीब 23 फीसदी भूमि अधिग्रहण किया गया है। इस रूट पर आने वाले काफी किसान अभी अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं। हालांकि, नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHRCL) के अधिकारियों का मानना है कि, भूमि अधिग्रहण समय से पूरा हो जाएगा।
2023 तक प्रोजेक्ट पूरा करना लक्ष्य
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन के एमडी ने पिछले साल ही यह कह दिया था कि, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव ने हाल ही बताया कि, प्रोजेक्ट के लिए 1396 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है।
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अब तक इतने हेक्टेयर का अधिग्रहण हुआ
कुल 1396 हेक्टेयर में से अब तक 885 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है, जो करीब 63.4% तक है। बता दें कि, एमएमआरसी-एमसीजीएम से ज्यादा नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) पेड़ कटवा रहा है। इसकी वजह है कि, क्योंकि हाईकोर्ट ने एनएचएसआरसीएल को रोका नहीं है।
किस जिले से कितनी भूमि अधिग्रहित की जानी है?
गुजरात के राजस्व मंत्री नितिन पटेल के अनुसार, विगत 3 वर्षों में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए, राज्य के 8 जिलों में 74,62,493 वर्ग मीटर भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया चली। जिसके तहत आणंद में 47,7672 वर्ग मीटर, खेड़ा में 1093987 वर्ग मीटर, वडोदरा में 951783 वर्ग मीटर, भरूच में1283814 वर्ग मीटर, सूरत में 1411997 वर्ग मीटर, नवसारी में 862088 वर्ग मीटर और वलसाड में 109,389 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। यानी गुजरात में कुल 746 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया चल रही है।