इंडियन आर्मी के लिए सूरत से भेजी जाएंगी सबसे शक्तिशाली K-9 वज्र टैंक की 100 यूनिट, जानिए विशेषताएं
सूरत। भारतीय सेना के लिए सूरत के हजीरा में एलएंडटी कंपनी (L&T प्लांट) द्वारा अत्याधुनिक K-9 वज्र टैंक की खेप तैयार की जा रही हैं। इन सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी युद्धक टैंक के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने एलएंडटी कंपनी के साथ 'मेक इन इंडिया' के तहत करार किया था। केंद्र द्वारा किसी निजी कंपनी को दिया गया यह सबसे बड़ा आॅर्डर माना जा रहा है। जिसके तहत एलएंडटी को भारतीय सेना के लिए 42 महीनों में टैंक के 100 यूनिट की आपूर्ति करनी है। बता दें कि, इन टैंकों को एलएंडटी साउथ कोरिया की हानवा टेकविन के साथ मिलकर बना रही है।
यूनिट की आपूर्ति के लक्ष्य का 81% काम पूरा
हजीरा स्थित L&T प्लांट से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, देश की सरहदों की रक्षा के लिए यहां से K-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी की 100 यूनिट खेप की आपूर्ति के लक्ष्य का 81% काम पूरा भी हो चुका है। इस तरह के युद्धक टैंक में 50 प्रतिशत से ज्यादा रॉ मटेरियल देसी ही है। वर्ष 2018 के नवंबर महीने में ऐसे टैंक को सेना में शामिल किया गया था। अब K-9 वज्र की पहली रेजीमेंट इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने के-9 वज्र टैंक को इसी साल जनवरी में हजीरा में हरी झंडी दिखाई थी।
मोदी ने देश को समर्पित किया था K-9 वज्र
भारतीय
सेना
के
लिए
सबसे
शक्तिशाली
माने
जा
रहे
इस
युद्धक
टैंक
को
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
सेना
को
सौंपा
था।
वह
तारीख
थी
19
जनवरी
2020,
जब
उन्होंने
कहा
कि,
सूरत
में
बने
बहुउद्देश्यी
K-9
वज्र
टैंक
हमारे
देश
की
सरहदों
पर
तैनात
होकर
उसे
महफूज
रखने
और
जरूरत
पड़ने
पर
दुश्मन
को
मुंह
तोड़
जवाब
देने
में
सक्षम
होंगे।
बता
दें
कि,
इसी
साल
जनवरी
महीने
में
इसे
ट्यूनिंग
टेस्ट
के
लिए
सेना
के
पास
भेजा
गया
था,
जिसके
पश्चात्
इसके
सेना
में
शामिल
होने
पर
मुहर
लगी।
इस
टैंक
में
ऐसी
कई
खासियतें
हैं,
जिनके
चलते
इसकी
तस्वीरें
सोशल
मीडिया
पर
खूब
वायरल
हुईं।
जानिए
क्या
हैं
K-9
थंडर
'वज्र'
आर्टिलरी
सिस्टम
की
विशेषताएं...
'टैंक सेल्फ प्रोपेल्ड होवरक्राफ्ट गन'
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, सूरत के हजीरा के L&T प्लांट में तैयार की गईं K-9 वज्र टैंक काफी एडवांस है। इसे 'टैंक सेल्फ प्रोपेल्ड होवरक्राफ्ट गन' कहते हैं। इसमें कई ऐसी खासियतें हैं, जिनके चलते ये बोफोर्स टैंक को भी पीछे छोड़ सकती हैं। बोफोर्स टैंक जहां एक्शन में आने से पूर्व पीछे जाती है, वहीं K-9 वज्र टैंक स्व-संचालित है।
50 किमी तक मार सकती हैं इसकी तोप
K9-'वज्र' एक आॅटोमैटिक कैनल बेज्ड आर्टिलरी सिस्टम है, जिसकी कैपिसिटी 40 से 52 किलोमीटर (विस्तारित मोड) तक है। वहीं, ऑपरेशनल रेंज 480 किमी है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही इस टैंक के निर्माण के लिए हजीरा में खास फैक्ट्री बनाई गई।
दागे जा सकते हैं 15 सेकंड के भीतर 3 गोले
K9-'वज्र' में MRSI मोड में गोले को रखने की क्षमता है, जिसे मल्टीपल राउंड्स मेल्टीनेशनल इफेक्ट भी कहा जाता है। MRVI मोड में K-9 वज्र केवल 15 सेकंड के भीतर तीन गोले दाग सकता है।
104
राउंड
फायर
की
कैपिसिटी
K10
एमिशन
रिसप्लाय
व्हीकल
(ARV)
-
K9
सिस्टम
K10
के
साथ
आता
है,
यह
एक
ऑटोमैटिक
डिस्प्ले
व्हीकल
है,
जो
K9
की
डायनामिक्स
को
बनाए
रखता
है
और
रियर
मेन
आर्टिलरी
बैटरी
को
फॉलो
करता
है।
गोले
की
अधिकतम
ट्रान्सफर
रैट
12
राउंड
प्रति
मिनट
है।
अधिकतम
गोले
की
क्षमता-104
राउंड
फायर
की
हैं।
निजी कंपनी को सौंपा गया यह सबसे बड़ा ऑर्डर
हजीरा स्थित L&T प्लांट एक निजी कंपनी है, मगर मेक इन इंडिया के तहत 2018 में इसे ही बड़ा ऑर्डर दिया गया था। इस ऑर्डर के तहत 100 टैंक तैयार किए जाने हैं। ऐसे में ये किसी निजी क्षेत्र को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर कहा जा सकता है। वहीं, सूरत शहर के लिए भी गर्व की बात है कि सरहद की रक्षा करने वाली आधुनिक टैंक यहां विकसित हो रही हैं।
महज 42 महीने में सेना को मिलेंगे सभी टैंक
L&T (इंडिया) ने मेक इन इंडिया के तहत हनवा टैंक विन (दक्षिण कोरिया) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जिसके अनुसार सूरत के हजीरा स्थित L&T प्लान्ट में K-9 थंडर 'वज्र' आर्टिलरी सिस्टम के 100 टैंक का उत्पादन किया जाएगा। L&T द्वारा निर्मित 155 मिमी / 52 कैलिबर की स्व-चालित बंदूक सिस्टम को भी 42 महीने के भीतर भारतीय सेना को सौंप दी जाएगी।