भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए अब तक 63% भू-अधिग्रहण, आखिर कब दौड़ेगी ये पटरी पर?
अहमदाबाद। भारत की पहली बुलेट ट्रेन के दौड़ने में अभी भी 5 साल से ज्यादा का वक्त लग सकता है। इस प्रोजेक्ट में देरी होने का अंदाजा इसी से लग रहा है कि, अहमदाबाद से मुंबई के बीच जमीन अधिग्रहण का ही काम पूरा नहीं हुआ है। गुजरात और महाराष्ट्र दोनों प्रदेशों में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए अब तक कुल 63.4% जमीन ही अधिग्रहीत की जा सकी है।
भूमि अधिग्रहण पर ही अटकी रेल
जिस तरीके से जमीन अधिग्रहण में विलंब हो रहा है, उससे ऐसा लगता है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के कंप्लीट होने में 5 वर्ष और लग जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि, गुजरात में अब तक करीब 82 फीसदी और महाराष्ट्र में करीब 23 फीसदी भूमि अधिग्रहण किया गया है। इस रूट पर आने वाले काफी किसान अभी अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं। हालांकि, नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHRCL) के अधिकारियों का मानना है कि, भूमि अधिग्रहण समय से पूरा हो जाएगा।
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2023 तक प्रोजेक्ट पूरा करना लक्ष्य
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन के एमडी ने पिछले साल ही यह कह दिया था कि, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव ने हाल ही बताया कि, प्रोजेक्ट के लिए 1396 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है।
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अब तक इतने हेक्टेयर का अधिग्रहण हुआ
कुल 1396 हेक्टेयर में से अब तक 885 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है, जो करीब 63.4% तक है। बता दें कि, एमएमआरसी-एमसीजीएम से ज्यादा नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) पेड़ कटवा रहा है। इसकी वजह है कि, क्योंकि हाईकोर्ट ने एनएचएसआरसीएल को रोका नहीं है।
किस जिले से कितनी भूमि अधिग्रहित की जानी है?
गुजरात के राजस्व मंत्री नितिन पटेल के अनुसार, विगत 3 वर्षों में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए, राज्य के 8 जिलों में 74,62,493 वर्ग मीटर भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया चली। जिसके तहत आणंद में 47,7672 वर्ग मीटर, खेड़ा में 1093987 वर्ग मीटर, वडोदरा में 951783 वर्ग मीटर, भरूच में1283814 वर्ग मीटर, सूरत में 1411997 वर्ग मीटर, नवसारी में 862088 वर्ग मीटर और वलसाड में 109,389 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। यानी गुजरात में कुल 746 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया चल रही है।
पेड़ बहुत काट दिए गए, वृक्षारोपण कम
एनएचएसआरसीएल ने कहा था कि एक पेड़ के बजाए वे 10 पेड़ लगवाएंगे। जबकि, देखा जाए तो नियमों का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। अहमदाबाद मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए भी हजारों पेडों को काट दिया गया था। दोनों परियोजनाओं के लिए पुन: वृक्षारोपण परवान नहीं चढ़ा है। उल्टे बुलेट ट्रेन के लिए हजारों पेड़ों को काटने की अनुमति भी दी गई।
तो कब तक रूट पर दौड़ सकती है बुलेट ट्रेन?
पिछले साल एनएचआरसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अचल खरे ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में आ रही अड़चनों का जिक्र किया था। जिसमें खरे ने यह भी बताया था कि बुलेट कब तक रूट पर दौड़ सकती है। उन्होंने कहा था कि देश की पहली हाईस्पीड ट्रेन 2023 के अंत तक दौड़ सकती है। इस हाई स्पीड रेल की रफ्तार 320 किमी प्रति घंटा होगी। इसमें सफर करने के लिए करीब 3000 रुपये चुकाने होंगे। महज 2:07 घंटे में इसके जरिए 508 किमी की दूरी तय की जा सकेगी।
प्रोजेक्ट से 25,000 लोगों को रोजगार का दावा
लोगों को रोजगार मुहैया कराने का वादा करते हुए खरे ने यह भी कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत 25,000 लोगों को रोजगार दिया जाएगा। 3500 लोगों को परिचालन और रखरखाव चरण के दौरान एनएचएसआरसीएल द्वारा नियोजित किया जाएगा। साथ ही, अप्रत्यक्ष रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। अनुमान यह है कि अप्रत्यक्ष रोजगार प्रत्यक्ष रोजगार से चार गुना होगा।