बच्चों से ट्यूशन फीस ले सकते हैं प्राईवेट स्कूल, अदालत ने दी अनुमति
गांधीनगर। कोरोना संकट के इस दौर में प्राईवेट स्कूल बच्चों से ट्यूशन फीस ले सकते हैं। प्राईवेट स्कूलों को यह अनुमति गुजरात हाईकोर्ट ने दी है। साथ ही कहा है कि, ऐसे स्कूल ट्यूशन के अलावा कोई फीस नहीं ले सकेंगे। खंडपीठ ने कहा कि, जब तक स्कूल शुरू न हो वहां तब तक ट्यूशन फीस के सिवाय और कोई अन्य फीस नहीं वसूली जाए। बता दें कि, प्राईवेट स्कूलों द्वारा फीस वसूलने के मामले में हाईकोर्ट ने बुधवार को यह आदेश दिए।
खंडपीठ ने संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे बी पर्डिलवाला की खंडपीठ ने कहा, "बच्चों को एक उचित शिक्षा प्रदान करने और स्कूलों को बचाए रखने की अनुमति देने के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि जो स्कूल बच्चों को ट्यूशन मुहैया करा रहे हैं, उन्हें भी अपना खर्च चलाने के लिए वसूली करनी है।"
'ऑनलाइन शिक्षा स्कूलों की ओर से व्यर्थ प्रयास नहीं'
अदालत ने कहा कि स्कूलों को फीस जमा करने की अनुमति नहीं देना कई छोटे स्कूलों को स्थायी रूप से बंद करने के लिए मजबूर करेगा, जबकि छात्रों को लंबे समय तक शिक्षा प्रदान नहीं करना उनके संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास को प्रभावित करेगा। न्यायाधीशों ने कहा कि माता-पिता को यह महसूस करना चाहिए कि ऑनलाइन शिक्षा स्कूलों की ओर से एक व्यर्थ प्रयास नहीं है।
स्कूलों को भी दी यह हिदायत
पीठ ने कहा कि ऐसे ही समय में, स्कूलों को माता-पिता द्वारा सामना की जा रही आर्थिक अस्थिरता के बारे में भी पता होना चाहिए। वहीं, कुछ प्रासंगिक धाराओं का हवाला देते हुए, अदालत ने सरकार से कहा कि "संतुलन बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करें ताकि माता-पिता के हित के साथ-साथ निजी सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधन के हित भी साधे जा सकें।"
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ऐसे हाईकोर्ट पहुंचा था मामला
बता दें कि, इससे पहले हाईकोर्ट के समक्ष अभिभावक मंडल के प्रमुख नरेश शाह की ओर से एडवोकेट विशाल दवे ने दलील दी थी कि लॉकडाउन के 3 महीने तक अभिभावकों की हालत दयनीय बन गई है। ऐसे में स्कूल बंद होने के बावजूद संचालक फीस भरने के लिए दबाव डाल रहे हैं। सरकार को इस मामले में उचित निर्णय लेना चाहिए।' तब सरकार ने कहा कि, प्राईवेट स्कूल अभी फीस वसूली नहीं करें। जिसके बाद प्राईवेट स्कूलों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका लगा दी गई।