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देश के सबसे युवा IPS सफीन हसन, कभी दो टूक रोटी नहीं मिलती थी, जानें कैसे पाई कामयाबी

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अहमदाबाद. गुजरात के पालनपुर (कणोदर) में जन्मे सफीन हसन ने जामनगर में बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP), सबसे युवा आईपीएस अधिकारी के रूप में पदभार संभाला। ट्रेनिंग के बाद ही जामनगर में उनकी पहली पोस्टिंग का रास्ता साफ हो गया था। मगर, यहां तक का उनका सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। 10वीं तक पढ़ाई के लिए उनकी मां ने दूसरों के घरों में रोटियां बेलीं। जबकि, पिता जाड़ों में अंडे और चाय का ठेला लगाते थे। एक समय में माता-पिता हीरा श्रमिक भी रहे। हसन के अब तक के सफर में कई ऐसे दिन आए, जैसे किसी लावारिस बच्चे ने दुख झेला हो। कई बार उन्हें भूखे भी रहना पड़ा। हालांकि, फिर कुछ सज्जन लोग उनके ​करियर में अहम साबित हुए। कई शिक्षकों ने हसन की न सिर्फ फीस माफ कराई, बल्कि एक शख्स ने तो दिल्ली में हसन का पूरा खर्च भी वहन किया।

असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की ड्यूटी ज्वॉइन की

असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की ड्यूटी ज्वॉइन की

हसन का जन्म 21 जुलाई, 1995 को हुआ था। वह गुजराती, अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत चारों भाषाओं के जानकार हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा 570वीं रैंक के साथ पास की थी। उसके बाद गुजरात कैडर से वह आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद चले गए थे। वहां से लौटने पर जामनगर में उन्हें असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) के रूप में नियुक्ति मिली है। हसन कहते हैं कि खुद का कॉन्फिडेंस और स्मार्ट वर्क कायम रहे तो सफलता पक्का मिलती है।

जून, 2016 में तैयारी शुरू की थी, अब 24 साल के हो गए

जून, 2016 में तैयारी शुरू की थी, अब 24 साल के हो गए

अपनी तैयारी के बारे में बताते हुए हसन ने कहा, ''मैंने जून 2016 में तैयारी शुरू की थी। उसके बाद यूपीएससी और जीपीएससी की परीक्षा दीं। गुजरात पीएससी में भी सफलता हासिल की। कई मौके ऐसे आए, जब मुश्किलों से जूझा। मगर, यह उूपरवाले का दिया मानकर मैं लगा रहा। यहां तक कि परीक्षा से पहले एक्सीडेंट हो गया था, मैंने पेन किलर लेकर पेपर दिया। परीक्षा के बाद हॉस्पिटल में लंबे समय तक भर्ती होना पड़ा।''

मां-बाप ने क्या-क्या किया? ऐसी है पारिवारिक पृष्ठभूमि

मां-बाप ने क्या-क्या किया? ऐसी है पारिवारिक पृष्ठभूमि

हसन अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए कहते हैं कि, जब पढ़ाई के लिए पैसे कम पड़ने लगे तो मां नसीम बानो ने रेस्‍टोरेंट और ब्याह-समारोह में रोटियां बनवाईं। वे पिता मुस्‍तफा के साथ हीरे की एक यूनिट में थीं, हालांकि कुछ सालों बाद माता-पिता दोनों की वो नौकरी चली गई। फिर, जैसे-तैसे घर का खर्च चलाया। हमें कई रात खाली पेट भी सोना पड़ा। यूपीएससी का पहले अटेंप्ट देते वक्त मेरा एक्सीडेंट हो गया था। बावजूद इसके साल 2017 यूपीएससी एग्जाम में 570 वीं रैंक हासिल कर की और आईपीएस का सफर तय किया।''

..तब ठाना कि आईपीएस ही बनना है

..तब ठाना कि आईपीएस ही बनना है

आईपीएस बनने का ख्याल क्यों आया, इसके जवाब में हसन कहते हैं कि एक बार जब मैं अपनी मौसी के साथ एक स्‍कूल में गया था, तो वहां समारोह में पहुंचे कलेक्‍टर की आवभगत व सम्‍मान देखकर पूछा कि ये कौन हैं और लोग इनका इतना सम्‍मान क्‍यों कर रहे हैं? तब मौसी ने मुझे बताया ये आईपीएस हैं, जो जिले के मुखिया होते हैं। यह पद देशसेवा के लिए होता है। तभी से मैं आईपीएस बनने की सोचने लगा।''

कई दिन तो भूख भी सोना पड़ा

कई दिन तो भूख भी सोना पड़ा

''हीरा यूनिट में नौकरी खोने के बाद हसन की मां जहां रोटी बेलने का काम करती थीं। वहीं, पिता ने इलेक्ट्रिशियन का काम शुरू कर लिया। वो जाड़ों में अंडे और चाय का ठेला भी लगाते थे। मैं अपनी मां को सर्दियों में भी पसीने से भीगा हुआ देखता था। किचन में पढ़ाई करता था। मां सुबह 3 बजे उठकर 20 से 200 किलो तक चपाती बनाती थी। इस काम से वो हर महीने पांच से आठ हजार रुपए कमाती थीं। ऐसे में कई दिन हमें भूखा पेट सोना पड़ा।''

'अच्छे लोगों ने पढ़ाई में खूब मदद की'

'अच्छे लोगों ने पढ़ाई में खूब मदद की'

''मेरी प्राथमिक शिक्षा उत्‍तर गुजरात बनासकांठा के पालनपुर तहसील के छोटे से गांव कणोदर में पूरी हुई थी। प्राथ‍मिक शिक्षा के बाद हम इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए सूरत आए। स्कूल की पढ़ाई के बाद मैंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (एनआईटी) में दाखिला लिया था। जब मैं हाईस्कूल में था, तो मेरे प्रिंसिपल ने मेरी 80 हजार रुपए फीस माफ कर दी।''

'एग्जाम से पहले हो गया था एक्सीडेंट'

'एग्जाम से पहले हो गया था एक्सीडेंट'

'इसके अलावा, जब हम दिल्ली आए थे तो गुजरात के पोलरा परिवार ने 2 साल तक हमारा खर्च उठाया। वही, लोग मेरी कोचिंग की फीस भी देते थे। उन दिनों जब यूपीएससी के एग्जाम शुरू हुए थे, तो मेरा एक्सीडेंट हो गया था। हालांकि, जिस हाथ से मैं लिखता था वह सही-सलामत था। एग्जाम देने के बाद मुझे अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ा था।'

आईपीएस बनता देख मां-बाप हुए बहुत खुश

आईपीएस बनता देख मां-बाप हुए बहुत खुश

''अल्लाह का शुक्र है, अब हमारे साथ सब सही है। जामनगर में ASP की ड्यूटी ज्वॉइन करने जा रहा हूं। बेटे को सबसे कम उम्र का आईपीएस बनता देख माता-पिता काफी खुश हैं। वो यह मानते हैं कि, इस देश में ही ऐसे नेक लोग मिलते हैं जो मुझ जैसों की मदद किया करते हैं। अब इस सर्विस से दूसरों के लिए, मुझसे जो होगा सो करूंगा।''

इंस्टाग्राम पर डेढ़ लाख से ज्यादा फॉलोअर

इंस्टाग्राम पर डेढ़ लाख से ज्यादा फॉलोअर

आईपीएस के लिए सलेक्शन होने के बाद से सोशल मीडिया पर भी हसन काफी पॉपुलर हो गए हैं। फेसबुक पर उन्हें लाखों लोग फॉलो करते हैं। इंस्टाग्राम पर शनिवार, 14 दिसंबर 2019 तक उनके 153 हजार से ज्यादा फॉलोअर हो गए थे। जहां वे खुद भी 1,100 लोगों को फॉलो करते हैं।

मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने किया सम्मानित

मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने किया सम्मानित

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी हसन को सम्मानित कर चुके हैं। उनकी मां ने एक इंटरव्यू में बताया कि, मेरे बेटे का बर्थडे 21 जुलाई को पड़ता है। हसन के वीडियो यूट्यूब चैनल पर भी हैं, जिनसे स्टूडेंट्स को प्रेरणा मिलती है। आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं।

पढ़ें: ये हैं हसन सफ़ीन, सबसे कम उम्र के आईपीएस; पढ़ाने के लिए शादियों में मां बेलती थी रोटियांपढ़ें: ये हैं हसन सफ़ीन, सबसे कम उम्र के आईपीएस; पढ़ाने के लिए शादियों में मां बेलती थी रोटियां

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English summary
Hasan Safin, a youngest IPS officer take charge on as the assistant superintendent of police at Jamnagar, Gujarat
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