Hardik Patel Mehsana में प्रवेश कर सकेंगे, चुनाव से पहले कुलदेवी की पूजा, हाईकोर्ट से मिली एक साल की राहत
Hardik Patel Mehsana में प्रवेश कर सकेंगे। गुजरात हाईकोर्ट ने हार्दिक के मेहसाना में प्रवेश पर लगी पाबंदी एक साल के लिए हटा दी है। Hardik Patel Mehsana Entry Gujarat High Court Order
गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के बादHardik Patel Mehsana में प्रवेश कर सकेंगे। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा प्रत्याशी हार्दिक पटेल को बड़ी राहत मिली है। गुजरात हाईकोर्ट ने उनके मेहसाणा में प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटाने का फैसला सुनाया है। अगले 1 साल तक हार्दिक पटेल मेहसाणा में जा सकेंगे। गुजरात हाईकोर्ट ने तात्कालिक राहत देते हुए हार्दिक पटेल को मेहसाणा में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए बवाल के बाद लगी पाबंदी से राहत दे दी।
बता देंगे 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा भड़की थी। मेहसाणा में हिंसा के कारण हार्दिक पटेल के प्रवेश पर बैन लगाया गया था। आदेश में कहा गया था कि अगले आदेश तक हार्दिक पटेल मेहसाणा में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। हालांकि, शुक्रवार को गुजरात हाई कोर्ट में जस्टिस एसएच वोरा ने उन्हें तात्कालिक राहत देते हुए एक साल तक मेहसाणा में जाने की अनुमति दे दी।
हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष बेल मोडिफिकेशन पिटिशन फाइल की थी। 7 नवंबर को दायर की गई याचिका में अपील की गई थी कि वह विधानसभा चुनाव से पहले अपनी कुल देवी के मंदिर में पूजा करने मेहसाणा जाना चाहते हैं। बता दें कि बीजेपी ने हार्दिक पटेल को वीरमगाम सीट से प्रत्याशी बनाया है। अहमदाबाद जिले की सीट पर हार्दिक पटेल मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे हैं।
गौरतलब है कि गुजरात की एक स्थानीय अदालत ने जुलाई 2018 में हार्दिक पटेल और उनके सहयोगी लाल जी पटेल और एके पटेल को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। इन लोगों पर दंगा भड़काने के आरोप लगे थे। अदालत ने पाया कि 23 जुलाई 2015 को शहर में पाटीदार रिजर्वेशन आंदोलन के दौरान कार में आग लगाने के अलावा बीजेपी एमएलए ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में भी आग लगा दी गई थी।
अगस्त 2018 के आदेश में गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को सस्पेंड कर हार्दिक पटेल को जमानत तो दे दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने हार्दिक पटेल के मेहसाणा में जाने पर पाबंदी बरकरार रखी थी। यह बेल कंडीशन उनकी नवंबर 2022 की अपील पर आदेश आने तक बरकरार रहा।
हार्दिक पटेल ने दोषी करार दिए जाने के फैसले को चुनौती दी है। मामला अभी भी लंबित है।