कोरोनाकाल में रुकी पढ़ाई तो 22 हजार से ज्यादा बच्चों को मुफ्त पढ़ाने लगे ये गुरू, दवा भी बांटी
सूरत। गुजरात में कोरोनाकाल में स्कूल-ट्यूशन सेंटर आदि बंद होने से बहुत से बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई। कोरोनावायरस ने यहां लाखों लोगों को संक्रमित किया और 10 हजार से ज्यादा जिंदगियां लील लीं। वहीं, ऐसे में महामारी असर आर्थिक रूप भी बहुत पड़ा। हजारों लोगों के काम-धंधे एवं रोजी-रोटी का जरिया छिन गया। जिन देहाती इलाकों में बच्चों के नजदीक स्कूल नहीं थे, वे शैक्षिक रूप से और ज्यादा पिछड़ गए थे। ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें, जिनकी पढ़ाई रुक गई।

इस समस्या को सूरत के बारडोली स्थित दिवाली बेन उकाभाई पटेल ट्रस्ट ने गंभीरता से लिया। ट्रस्ट ने एक पहल शुरू की- दक्षिण गुजरात में बच्चों को पढ़ाने की। इसके लिए 476 स्कूलों के 5वीं कक्षा तक के बच्चों का सर्वे किया गया। उसके बाद शिक्षा को मजबूती व उसमें सुधार के लिए ट्रस्ट ने दीप प्रज्वलन कार्यक्रम शुरू किया। यह प्रेरक पहल इतना बड़ा बदलाव ले आई, जैसा वॉलिंटियर्स ने सोचा भी न होगा। हजारों की तादाद में ऐसे बच्चे मिले, जिनकी पढ़ाई की व्यवस्था कराई गई।

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मैनेजिंग ट्रस्टी नलिन जोशी के मुताबिक, दूर-दराज के गांवों से हॉस्पिटल की दूरी ज्यादा होती है और इसलिए यह कोरोनाकाल में लोगों के लिए बड़ी समस्या रही। वहीं, अभिभावकों पर स्कूलों के बंद होने का भी बड़ा असर पड़ा। जिन गरीब बच्चों का पेट स्कूल के मिड-डे मील से भरता और उनकी पढ़ाई भी होती थी, वो कोरोनाकाल ने छिन लिया। लिहाजा हमने लोगों को रोग मुक्त रखने के लिए हेल्थ किट (जिसमें 36 दवाओं के साथ ड्रेसिंग का सामान था) तैयार करवाकर 600 से ज्यादा गांवों में पहुंचवाईं, और बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था भी करवाई।
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नलिन जोशी ने कहा कि, 22234 बच्चों के लिए 582 शिक्षकों एवं 15 निरीक्षकों की भर्ती की गई। इसके अलावा जरूरतमंदों को अनाज भी पहुंचाया गया। अब हजारों बच्चे ट्रस्ट की ओर से शिक्षा ले रहे हैं।